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कहीं फूलों से स्वागत तो कहीं पत्थरों की वर्षा

भारत एक ऐसा देश है जिसमे दो भारत बसते हैं, और यही भारत की खूबसूरती और कभी-कभार बदसूरती की स्थिति भी पैदा कर देती है | कोरोना वायरस ने लगभग पूरे विश्व को अपने आगोश में ले लिया इसके बावजूद सभी देश एक दूसरे की मदद कर इस महामारी से लड़ाई लड़ रहे हैं | एक तरफ भारत है जिससे अमेरिका मदद माँग रहा है लेकिन वहीँ भारतवासी अपने ही देश के लोगों को सम्मान नही दे रहे हैं |

वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह कहना गलत नही होगा कि इस समय स्वास्थ्य और पुलिस विभाग के अधिकारी-कर्मचारी भगवान से कम दर्ज़ा नही रखते हैं, जो कि दिन-रात देशवासियों की सेवा में लगे हुए और इस महामारी से निबटने में अपनी जान की परवाह किये बिना अपने परिवार बच्चों से दूर काम कर रहे हैं, लेकिन इन सब के बावजूद पिछले दिनों में कई ऐसी घटनाएं सामने आयीं है जिससे न केवल देवता रूपी भगवान बल्कि आम जनता भी परेशान हुई है |

केन्द्र एवं राज्य सरकारों ने देश में कोरोना महामारी से पीड़ित मरीजों की संख्या में काफी हद तक पकड़ बना रखी थी लेकिन एक बड़ी लापरवाही ने पूरे देश में कोरोना को अब तक के सबसे खतरनाक स्तर पर पहुँचा दिया, निजामुद्दीन मरकज से निकले तब्लीगी जमात के सैकड़ों कोरोना पॉजिटिव मरीजों की वजह से आज हालात कुछ राज्यों में बेहद गंभीर स्थिति में पहुँच गए जिसमे महाराष्ट्र, दिल्ली, बिहार मध्य प्रदेश, राजस्थान और कुछ दक्षिण के राज्यों सहित कई प्रदेश चपेट में अधिक आये हैं | प्रशासन ने जब इन सबको ढूंढने का कार्य शुरू किया और मौजूद स्थानों पर टीमों के साथ पहुंचे तो उनके ऊपर पत्थरों से हमला कर दिया गया, जिससे कई डॉक्टर्स और पुलिस कर्मी घायल हुए, यह पहला मामला मध्य-प्रदेश से आया उसके बाद तो जैसे हमले करने की होड़ सी बढ़ गयी, ऐसी ही विषम परिस्थिति का सामना बिहार में कोरोना मरीज को लेने गए डॉक्टर्स और पुलिस को करना पड़ा, इसके बाद एक दिन पहले की घटना उत्तर-प्रदेश राज्य के मुरादाबाद जिला से आयी जहाँ पर भी यही तरीका अपनाया गया | जबकि उसी मुरादाबाद के पास वृंदावन में इसके उलट सेनेटाईज करने गयी कर्मचारियों की टीम पर फूलों से स्वागत किया गया | यह बेहद दिलचस्प है कि एक तरफ पत्थर वर्षा हो रही है जिससे सेवा में लगे स्वास्थ्य कर्मी हताश होते हैं तो वहीँ इस तरह का प्यार और सम्मान पाकर खुद को खुशनसीब मानते हैं |

जहाँ एक साथ पूरा देश कोरोना को ख़त्म करने का हर संभव प्रयास कर रहा है तो वहीँ सरकार के सामने ऐसी घटनाएं विषम परिस्थितयाँ बनकर परेशानी खड़ी कर रही है | मेरा व्यक्तिगत मानना है कि ऐसे में उन लोगों और समूहों को समझाया जाये कि कोरोना कोई एक छोटी-मोटी बीमारी नही है जो कि स्वयं समाप्त हो जाएगी यदि ऐसा होता तो अब तक 450 से ज्यादा लोग अपनी जान नही गँवा चुके होते | इसके लिए भी सरकार को कोई योजना बनाकर जागरूकता के माध्यम से लोगों में इस महामारी के खतरे को समझाना बेहद जरुरी है |

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