एसबीआई चुनावी बांड मामला
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चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिपण्णी: SBI ने 26 दिन में क्या किया, हमारे आदेश का पालन तो करना ही पड़ेगा

नई दिल्ली, 11 मार्च 2024. चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने SBI पर तीखी टिप्पणी की है. चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हमने आपको डेटा मिलान के लिए नहीं कहा था, आप आदेश का पालन कीजिए. जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि SBI का काम सिर्फ डेटा सील कवर से निकालना है और भेजना है.  सीजेआई ने SBI ने पूछा कि आखिर आपने पिछले 26 दिनों में क्या काम किया, कितना डेटा मिलान किया. सीजेआई ने ये भी कहा कि मिलान के लिए समय मांगना उचित नहीं है. हमने आपको ऐसा करने का कोई भी निर्देश नहीं दिया है बल्कि आदेश में सबकुछ स्पष्ट था. आखिरकार सारा ब्यौरा मुंबई मुख्य शाखा में भेजा जा चुका है. आपने अर्जी में कहा है कि एक साइलो से दूसरे साइलो में जानकारी का मिलान समय लेने वाली प्रक्रिया है.

पांच जजों की संविधान पीठ कर रही है मामले की सुनवाई

वैसे आम जनता के बीच में वर्षों से SBI के कामकाज को लेकर इमेज बनी हुई है कि ये लोग अपना काम समय से नहीं करते हैं, सोशल मीडिया पर तो लंच के बाद आना वाला मीम तो आज भी बेहद प्रचलित है. लेकिन शायद SBI अपनी इमेज सुधार में कोई खास दिलचस्पी लेते हुए नजर नहीं आ रही है और शायद इसी का नतीजा है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के लिए 30 जून तक की और मोहलत की मांग की. ADR की SBI के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की याचिका पर भी सुनवाई हुई. पांच जजों का संविधान पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है. CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच में सुनवाई हुई.

हमें और वक्त चाहिए : SBI

हरीश साल्वे ने SBI की ओर से दलील देते हुए कहा कि हमें इस काम के लिए और वक्त चाहिए. साल्वे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक SBI को अप्रैल 2019 से अब तक का ब्योरा चुनाव आयोग को देना है. हमारी एकमात्र समस्या यह है कि हम पूरी प्रक्रिया को उलटने की कोशिश कर रहे हैं.  हमारी SoP ने सुनिश्चित किया कि हमारे कोर बैंकिंग सिस्टम और बांड नंबर में खरीदार का कोई नाम नहीं था. हमें बताया गया कि इसे गुप्त रखा जाना चाहिए. हम जानकारी एकत्र करने की कोशिश कर रहे हैं. सीजेआई ने कहा कि आप कहते हैं  कि दाता का विवरण एक निर्दिष्ट शाखा में एक सीलबंद लिफाफे में रखा गया था.  सभी सीलबंद लिफाफे मुंबई में मुख्य शाखा में जमा किए गए थे. दूसरी ओर राजनीतिक दल 29 अधिकृत बैंकों से पैसा भुना सकते हैं.  SBI के वकील हरीश साल्वे ने दलील दी कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने की तारीख और खरीदने वाले का नाम एक साथ उपलब्ध नहीं है, उसे कोड किया गया है. उसे डिकोड करने में समय लगेगा. इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ही हम और अधिक समाय की मांग कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट का तीखा प्रहार 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “हम अवमानना क्षेत्राधिकार का प्रयोग नहीं कर रहे हैं, लेकिन हम एसबीआई को नोटिस देते हैं कि यदि वह अदालत द्वारा जारी निर्देशों का पालन नहीं करता है तो यह अदालत उसके खिलाफ जानबूझकर अदालत की अवज्ञा के लिए कार्यवाही करेगी”।

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