कोरोना महामारी संक्रमण से बचने के लिए अब विश्वभर की फार्मा कम्पनियाँ और विभिन्न संस्थान कोरोना की दवा बनाने का दावा कर रहे हैं, हाल ही में कोरोना के इलाज के इलाज़ के लिए पतंजलि ने भी कोरोना की दवा कोरोनिल बनाने का दवा किया, जिसकी जानकारी उन्होंने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर दी, लेकिन पतंजलि की ओर से दावा करने के बाद से ही उनके द्वारा बनाई गयी दवा पर घमासान मचा हुआ है | भारत सरकार की ओर से आयुष मंत्रालय ने पतंजलि को उनकी दवा के प्रचार-प्रसार के लिए पूर्णतयः प्रतिबन्ध लगा दिया है, वहीँ महाराष्ट्र सरकार ने भी पतंजलि की कोरोना से बचाने वाली दवा पर प्रतिबन्ध लगा दिया है|
इसी बीच रामदेव के ट्रायल पर बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है, राजस्थान के निम्स यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर बीएमस तोमर ने साफ़-साफ़ क्लिनिकल ट्रायल की बात से पल्ला झाड़ लिया है। डॉ. तोमर ने कहा कि रामदेव ने गलत बयान दिया, हमने इम्युनिटी बूस्टर के रूप में अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी का प्रयोग किया है | अपने ऊपर लग रहे आरोपों का बचाव करते हुए पतंजलि ने कहा कि उसने दवा के निर्माण में किसी भी प्रकार के कानून का उल्लंघन नहीं किया है। पतंजिल के प्रवक्ता एस के तिजारावाला ने ट्वीट करके कहा, ‘पतंजिल ने इस औषधि के लेबल पर कोई अवैध दावा नहीं किया है। औषधि का निर्माण और बिक्री सरकार के द्वारा तय नियम-कानून के अनुसार होता है। किसी की व्यक्तिगत मान्यताओं और विचारधारा के अनुसार नहीं। पतंजलि ने सारी विधिसम्मत अनुपालना की है। बेवजह बयानबाजी से परहेज करें।’
पतंजलि के दवा बनाने के दावे के बाद से मामले ने राजनैतिक तूल भी ले लिया, मामले पर टिपण्णी करते हुए कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा कि “रामदेव जी के अन्दर कोरोना वायरस की दवा डाल दो और फिर कोरोनिल से इलाज़ करें और बचें” |