सुनने या पढ़ने मैं यह वाक्य थोड़ा हास्यपर्स्द लग रहा है लेकिन पंजाब कांग्रेस की वास्तविक सच्चाई इस समय यही है। हो भी क्यों ना जब गुटबाजी पार्टी पर हावी हो
जी हां ताजा उदाहरण है कि पंजाब के अमृतसर शहरी अध्यक्ष को लेकर भारी उठापटक चल रही है जोकि कांग्रेसी की दयनीय हालत को बयान कर रही है।पूरा मामला यह है कि भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए एक पूर्व भाजपाई को जिला अध्यक्ष बनाने की तैयारी की जा रही है जो कि किसी भी कांग्रेसी कार्यकर्ता या टकसाली नेता को मंजूर नहीं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी कार्यकर्ता और
टकसालीयो की हां में हां मिला रहे हैं उनका भी कहना है कि राजवीर जैसे पूर्व भाजपाई को जिला अध्यक्ष बनाना पैर पर कुल्हाड़ी मारना नहीं बल्कि कुल्हाड़ी पर पैर मारना होगा
कांग्रेस के कार्यकर्ता का यहां तक कहना है क्या अब कॉन्ग्रेस के मुख्यालय पर भी भाजपा का झंडा फहराया जाएगा इसी को प्रमाणित करता हुआ एक कार्टून भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, राजवीर के पुश्तैनी घर पर भी लगे भाजपा के झंडे की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, कुछ कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिला अध्यक्ष पद भी अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने जा रहा है, जिले से बाहर का एक नेता इसे लेकर अपनी सियासी गोटी फिट कर रहा है ज्ञात रहे कि जिला अध्यक्ष के लिए जो नाम चर्चा में है उनमें राजकमल प्रीत लकी अश्विनी कुमार पप्पू व राजवीर का नाम प्रमुख लिया जा रहा है जबकि कार्यकर्ताओं का कहना है कि भाजपाई को छोड़कर किसी भी कांग्रेसी नेता को जिला अध्यक्ष बनाया जाए तो उन्हें मंजूर होगा कार्यकर्ताओं का कहना है कि क्या 70 साल पुरानी कांग्रेस में ऐसा कोई भी नेता नहीं जो जिले की कमान संभाल सके इन सब बातों के अलावा जमीनी हकीकत यह है कि अगर कांग्रेस हाईकमान ने समय रहते स्थितियों को ना संभाला तो आने वाले समय मैं कांग्रेस के लिए बड़ी दिक्कत खड़ी हो सकती है। इसी का कारण भी गुटबाजी ही था कि जो 2017 में लोकसभा के उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी 200000 वोटों से जीती थी उसका अंतर 2019 में 100000 कम हो गया था बिगड़ती स्थिति को संभालना कांग्रेस हाईकमान के लिए बड़ी चुनौती है,यह देखना भी दिलचस्प होगा कि कांग्रेसी इन स्थितियों को संभाल पाती है या नहीं