पटना, 28 जनवरी 2024, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज सुबह-सुबह राज्यपाल फागू चौहान से मिलने का समय मांग कर विपक्षी खेमे में हलचल मचा दी है। सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार आज मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के साथ ही आज ही दोबारा भाजपा के समर्थन से 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।
नीतीश कुमार की राज्यपाल के साथ बैठक से पहले, उन्होंने अपने विधायक दल की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में, उन्होंने अपने विधायकों से समर्थन मांगा। बैठक में, विधायकों ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनाने का समर्थन किया।
नीतीश कुमार के इस्तीफे से न केवल बिहार की राजनीति में बदलाव आएगा बल्कि बिहार में महागठबंधन के सत्ताकाल की सभी संभावनायें समाप्त हो जायेंगी। अभी तक महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और कांग्रेस शामिल थी, लेकिन नीतीश कुमार के पाला बदलने से न केवल महागठबंधन कमजोर होगा बल्कि उसका दुष्प्रभाव भी व्यापक रूप से देखने को मिलेगा ।
नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बीच पिछले कुछ महीनों से आतंरिक मतभेद धीरे-धीरे बाहर भी आने लगे थे। इस मतभेद के कारण ही बिहार में आज राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो गयी और नतीजतन सरकार गिरने के मुहाने पर आ खड़ी हो गयी।
नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद, बिहार में अब भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार बनने की शत-प्रतिशत संभावना है। भाजपा ने बिहार में पिछले विधानसभा चुनाव में 74 सीटें जीतीं थीं।
भाजपा के साथ बनने वाली इस नयी सरकार में मंत्रिमंडल में सिर्फ सीमित बदलाव देखने को मिलेगा, राजद के सभी मंत्रियों के स्थान पर भाजपा के नेता मंत्रिमंडल में सम्मिलित होंगे, वहीँ चर्चा है कि उपमुख्यमंत्री पद के लिए सुशील मोदी का नाम एक बार फिर प्रमुख चेहरों में शामिल है. वहीँ रविशंकर प्रसाद भी अब राज्य की राजनीति में अपना रुझान दिखा रहे हैं. हालाँकि भाजपा के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह नीतीश कुमार की वापसी से खुश नजर बिल्कुल भी नहीं आ रहे हैं. उन्होंने अंत में बस यही कहा कि हम एक कार्यकर्त्ता हैं, पार्टी जो निर्णय लेगी वो स्वीकार है.
यहां हम आपको कुछ प्रमुख बिंदु बता रहे हैं जो नीतीश कुमार के इस्तीफे और फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के संभावित कारण हैं:
• लालू प्रसाद यादव के साथ मतभेद: नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के बीच पिछले कुछ महीनों से मतभेद चल रहे थे। इस मतभेद के कारण, बिहार में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई थी।
• भाजपा का समर्थन: भाजपा ने बिहार में पिछले विधानसभा चुनाव में 74 सीटें जीतीं थीं। भाजपा ने नीतीश कुमार को समर्थन देने की पेशकश की थी।
• राजद का कमजोर प्रदर्शन: राजद ने पिछले विधानसभा चुनाव में 80 सीटें जीती थीं। यह उसकी उम्मीदों से कम थी। इस प्रदर्शन से राजद में भी असंतोष बढ़ गया था।