नई दिल्ली, 31 जनवरी 2024. सर्दियों के समय में कोहरे के चलते फ्लाइट्स और ट्रेनों का लगातार देरी से चलना स्वाभाविक है लेकिन इस परेशानी में एयरलाइन्स के द्वारा अपने ही यात्रियों के साथ क्रूरतापूर्वक व्यवहार करना कहाँ तक उचित हैं. आये दिन इंडिगो एयरलाइन्स को लेकर यात्री शिकायत कर रहे हैं, हर दूसरे दिन सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर इंडिगो एयरलाइन अपने व्यवहार के चलते निशाने पर रहता है, लेकिन इन सबके बावजूद केन्द्र सरकार पर जूं तक नहीं रेंग रही है.
आज फिर से इंडिगो एयरलाइन और यात्रियों के बीच विवाद उत्पन्न हो गया. दरअसल दिल्ली से देवघर चलने वाली फ्लाइट आज फिर लगातार दूसरे दिन रद्द कर दी गयी. एयरलाइन की तरफ से सिर्फ एक ही रटा-रटाया जवाब की कोहरे के कारण विजिबिलिटी कम है. एक सामान्य यात्री यह समझता है कि कोहरे में फ्लाइट का डिले होना या कैंसिल होना सामान्य है लेकिन क्या इसको लेकर समय पर उचित जानकारी पहले से यात्रियों को नही दी जानी चाहिये ?
यात्री पूछते रह जाते हैं और उन्हें कोई जवाब नही मिलता है, फिर इसी तना-तनी में कोई यात्री बेकाबू हो जाता है और हिंसक रूप धारण कर लेता है तब सिर्फ यात्रियों को ही दोष दिया जाता है. पिछले दिनों की घटना से भी शायद इंडिगो ने अभी तक कोई सबक नही लिया है और सबसे बड़ा सवाल यह भी पैदा होता है कि क्या सिर्फ इंडिगो एयरलाइन को ही सारी समस्या है. अन्य किसी भी एयरलाइन में इस तरह की शिकायते कम ही देखने को मिल रही हैं सिर्फ इंडिगो एयरलाइन का पिछले 6 माह का यदि रिकॉर्ड देखा जाये तो अनगिनत बार इनके द्वारा यात्रियों को प्रताड़ित करने जैसी घटनाएं सामने आयी हैं.
ऐसी परिस्थिति में क्या सरकार व सरकार के मंत्री की कोई जवाबदेही नहीं बनती है. क्या एयरलाइन से सम्बंधित मंत्रालय को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए?