अरविद केजरीवाल जमानत
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Arvind Kejriwal Bail: साम दाम दंड भेद अपनाकर ED ने अरविन्द केजरीवाल की ज़मानत टालने में सफ़ल, सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा

नई दिल्ली, 7 मई 2024. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका पर आज तीसरे दिन जबरदस्त सुनवाई के बीच आखिरकार अरविन्द केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत लगभग मिल ही गयी थी लेकिन ऐन मौके पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को सुरक्षित किया. . सुप्रीम कोर्ट ने अरविन्द केजरीवाल के पिछले रिकॉर्ड और लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए जमानत पर बहस स्वीकार की. हालाँकि केंद्र सरकार के अधीन प्रवर्तन निदेशालय ने अरविन्द केजरीवाल की जमानत पर साम दाम दंड भेद अपनाते हुए जमानत अस्वीकार किये जाने की भरसक कोशिश और सुप्रीम कोर्ट को सोचने पर मजबूर कर दिया.  में आज उनकी एक न चली. यदि अरविन्द केजरीवाल को चुनाव प्रचार की अनुमति मिलती है तो अवश्य ही अरविन्द केजरीवाल के बाहर आने से कहीं न कहीं आम आदमी पार्टी के कार्यकताओं को हिम्मत मिलेगी बल्कि पूरे इंडिया गठबंधन को भी एक ताकत मिलेगी.

उच्च न्यायलय ने पिछली सुनवाई में खुद ही कहा था क्योंकि यह चुनाव का समय है तो हम केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर भी विचार कर सकते हैं. तब ईडी ने कहा था कि कोई भी फैसला लेने से पहले हमारा पक्ष भी सुना जाए. और सुप्रीम कोर्ट आज इसी जमानत याचिका पर बैठी और न्यायलय ने ईडी की सभी दलीलें सुनी भी लेकिन अंत में फैसला न अरविन्द केजरीवाल के हक़ में गया न ही ED के हक़ में.

सुप्रीम कोर्ट और ED के बीच हुई क़ानूनी बहस के कुछ संक्षिप्त बिंदु :-

  • आज सुनवाई शुरू हुई तो एएसजी एसवी राजू ने अपना पक्ष रखना शुरू किया। उन्होंने कहा, मैं 100 करोड़ के हवाला ट्रांजेक्शन से बात शुरू करना चाहता हूं। मनीष सिसोदिया की बेल रिजेक्ट होने के बाद एक शिकायत आई थी और 1100 करोड़ रुपये अटैच किए गए।
  • इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा दो साल में ये 1100 करोड़ हो गए? आपने तो कहा था कि अपराध 100 करोड़ का है फिर यह इतना कैसे हो गया?
  • इस पर राजू ने कहा कि नीति से जो लाभ हुआ वो 1100 करोड़ है। तब जस्टिस खन्ना ने कहा आप पूरे लाभ को अपराध की श्रेणी में नहीं ला सकते।
  • तब राजू ने कहा कि इस वक्त यह जांच अधिकारी के विवेक पर है कि वह फैसला ले कि कौन सा स्टेटमेंट सही है और कौन सा नहीं…।
  • राजू ने आगे कहा, जब हमने जांच शुरू की थी तब हमारी जांच सीधे तौर पर केजरीवाल से नहीं जुड़ी थी। उनका रोल जांच के दौरान सामने आया। इसीलिए हमने शुरुआत में एक भी सवाल उन्हें लेकर नहीं हुए और न ही जांच उनपर केंद्रित थी।
  • राजू ने आगे कहा, तथ्यात्मक रूप से बयानों में कोई विरोधाभास नहीं है। वह याचिकाकर्ता के फेवर में हैं यह नहीं माना जा सकता।
  • राजू ने आगे कहा, हमने 25 अप्रैल 2023, तक एक भी सवाल नहीं किया। तब जस्टिस खन्ना ने पूछा सरथ रेड्डी कब गिरफ्तार हुआ? राजू ने बताया 10 नवंबर 2022 को ये सभी बयान सीसीटीवी की निगरानी में कस्टडी में लिए गए थे।
  • अदालत ने कहा कि आप याचिकाकर्ता को सभी बयान उपलब्ध कराइए तो ईडी ने कहा कि उसमें और भी चीजें हैं। तब अदालत ने कहा कि उन्हें अलग कर बयान उपलब्ध कराइए।
  • जस्टिस खन्ना ने ईडी से पूछा कि सरकार की तरफ से पहला शख्स किस तारीख को गिरफ्तार हुआ था? एएसजी ने कहा, 9 मार्च। फिर वह सरथ रेड्डी का बयान कोर्ट को दिखाने लगे और कहा कि इन बयानों का केजरीवाल से लेना-देना नहीं है। इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा, उनकी दलील है कि आपने वो सवाल क्यों नहीं पूछा।
  • इस पर राजून कहा कि उस वक्त किसी को बिना कारण ब्लेम करना गलत होता।
  • तब जस्टिस खन्ना ने कहा, आपने केजरीवाल से जुड़ा सवाल नहीं पूछा ये आपका इशू है। जस्टिस खन्ना ने ये भी पूछा कि क्या 100 करोड़ आपकी जानकारी में थे? क्या आप केस डायरी मेनटेन करते हैं?
  • इस पर राजू ने कहा केस फाइल….। तब जस्टिस खन्ना ने कहा, आप वो केस फाइल दो वॉल्यूम में पेश करें। हम अधिकारी की नोटिंग देखना चाहते हैं।
  • जस्टिस खन्ना ने बताया एक सरथ रेड्डी के गिरफ्तार होने से पहले। एक जब उसका बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किया गया था। एक मनीष सिसोदिया के गिरफ्तार होने से पहले की केस फाइल और एक उनके गिरफ्तार होने के बाद की।
  • फिर जस्टिस खन्ना ने पूछा कि क्या आप मजिस्ट्रेट के सामने केस फाइल पेश करते हैं? तब ईडी ने कहा रिमांड के पहले फाइल पेश करनी पड़ती है।
  • तब जस्टिस खन्ना ने कहा कि एक और फाइल पेश करिए जिसमें अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले की बातें होंगी।
  • ईडी की कुछ दलीलें सुनने के बाद जस्टिस खन्ना ने कहा कि आप जो कह रहे हैं सब ठीक है। आप कह रहे हैं कि राजनीतिक एक्जीक्यूटिव पॉलिसी बनाने में बिल्कुल शामिल नहीं थे… और अगर शामिल थे तो यह मुद्दा पीएमएलए की धारा 19 तक सीमित है।
  • जस्टिस खन्ना ने आगे कहा दूसरा मुद्दा ये है कि इसमें दो साल लग गए… यह एक जांच एजेंसी के लिए ठीक नहीं है कि चीजें उजागर होने में दो साल का समय लग जाए।
  • जस्टिस खन्ना – हम अंतरिम जमानत पर सुनवाई इसलिए नहीं कर रहे कि केजरीवाल पॉलिटिशियन हैं। प्रत्येक व्यक्ति के लिए कुछ विशेष और असाधारण परिस्थिति हो सकती है। हम यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि केजरीवाल के लिए चुनाव ऐसी असाधारण स्थिति है क्या ?

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