भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली ईकाई में संगठनात्मक फेरबदल की प्रक्रिया अब अपने अंतिम चरण में पहुँच चुकी है, दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा को प्रदेश की कमान संभाले हुए लगभग 4 महीने हो चुके हैं परन्तु किसी न किसी कारण अभी तक प्रदेश ईकाई की नई टीम का निर्धारण नहीं हो सका है. बताया जा रहा है दिल्ली प्रदेश के 14 जिलों के नये जिलाध्यक्षों को तय करने की कवायद लगभग पूरी हो चुकी है. इसको लेकर जिले अनुसार 2 से 3 नामों की एक संभावित सूची को जल्द ही शीर्ष नेतृत्व के समक्ष पेश किया जायेगा.
सूत्रों के अनुसार मिली जानकारी के मुताबिक पश्चिम दिल्ली जिले में श्याम सुन्दर शर्मा और राजकुमार ग्रोवर को संभावित सूची में रखा गया है तो वहीँ उत्तर-पश्चिमी दिल्ली जिले में वर्तमान जिलाध्यक्ष विनोद सहरावत, सत्य नारायण गौतम, महेश तोमर, नील दमन खत्री का नाम बताया जा रहा है. नजफगढ़ जिले में किशन गहलोत, किशन गोदर, सुनील जिंदल और पुलकित शर्मा. बाहरी दिल्ली जिले में वर्तमान जिलाध्यक्ष बजरंग शुक्ला, राजपाल भूरा, संजय चावला, रामचंद्र चावडिया, सुरेन्द्र मोहन पाण्डेय इत्यादि हैं. महरौली जिले की बात करी जाये तो पवन राठी, धीरज प्रधान, सत्येन्द्र चौधरी, रणबीर तंवर. दक्षिण जिले में रविन्द्र चौधरी, विजय धवन, बलबीर सिंह, रामनिवास भडाना, सुनील सूद. करोल बाग जिले में सुनील कक्कड़, राजेश भाटिया, वीरेंदर बब्बर, भारत भूषण मदन इत्यादि. केशवपुरम जिले में सतीश गर्ग, महेंद्र नागपाल, वीरेंद्र गोयल. चांदनी चौक जिले में सुमन गुप्ता, वर्तमान अध्यक्ष कुलदीप सिंह, सचिन दीवान. नई दिल्ली जिले में अनिल शर्मा और राजीव राणा. मयूर विहार जिले में विजेंद्र धामा, जीतेन्द्र डेढा, कर्ण चौधरी. उत्तर-पूर्वी जिले में वर्तमान अध्यक्ष मोहन गोयल, यूके चौधरी, पूनम चौहान, गौरव खारी. नवीन शाहदरा जिले में प्रवेश शर्मा और वर्तमान अध्यक्ष मनोज त्यागी. शाहदरा जिले में वर्तमान अध्यक्ष लता गुप्ता, सुशील उपाध्याय, संजय गोयल और दीपक गाबा.
वैसे तो जिलाध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया तीन माह पूर्व में ही शुरू हो गयी थी परन्तु उसी दौरान केंद्र सरकार के कार्यकाल को 9 वर्ष पूर्ण होने पर संपर्क से समर्थन अभियान के चलते इस प्रक्रिया में व्यवधान आया. उसके बाद फिर 10 दिन लगभग दिल्ली में आयी बाढ़ ने बर्बाद कर दिये. जिलाध्यक्षों के चयन हेतु नवनियुक्त संगठन महामंत्री पवन राणा ने लगभग सभी विधानसभाओं का दौरा कर वहाँ के मंडल अध्यक्ष, विधायक या विधायक प्रत्याशी, स्थानीय सांसद सहित सभी प्रमुख पदाधिकारियों के साथ चर्चा करने के बाद ही यह संभावितों की सूची तैयार की गयी.
सभी सांसद अपने अपने खास कार्यकताओं या पदाधिकारियों को जिलाध्यक्ष बनाने की होड़ में
चूँकि अगले वर्ष ही देश में लोकसभा चुनाव होने हैं ऐसे में संगठन इकाइयों में जो भी चयन या परिवर्तन अब होगा उसे ही लोकसभा चुनाव भी संभालना होगा ऐसे में सभी सांसद अपनी पुरजोर कोशिश में लगे हुए हैं कि किसी न किसी तरह अपने पसंदीदा व्यक्ति को ही जिलाध्यक्ष बनवाया जाये जिससे उनका चुनाव आसान हो सकेगा. हालाँकि दिल्ली में यह भी सुगबुगाहट है कि इस बार कम से कम 2 से 3 सांसदों की टिकट कटनी लगभग तय है. ऐसी विषम परिस्थिति में संगठन के लिए यह भी चुनौती है कि जिलाध्यक्ष किसे बनाया जाये.