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हार्ट अटैक से प्रति वर्ष लगभग 1.80 करोंड(18 मिलियन) लोगों को अपनी जान गँवा रहे
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हार्ट अटैक के साथ-साथ स्ट्रोक में भी मददगार है एस्पिरिन
एक नये अध्ययन से पता चला है कि हार्ट अटैक के खतरे को कम किया जा सकता है, खासकर जब हार्ट अटैक एक बार किसी भी व्यक्ति को हो चुका है, ऐसे में दूसरे हार्ट अटैक की प्रबल सम्भावना बनी रहती है. ऐसे समय में जब आये दिन कोई न कोई व्यक्ति हार्ट अटैक की वजह से अपनी जान गँवा रहा है. अमेरिकी शोध में पाया गया है कि जो व्यक्ति पहले हार्ट अटैक से बच गए हैं उनके लिए दूसरे अटैक को रोकने के लिए एस्पिरिन मेडिसिन का सेवन इस खतरे को काफी हद तक कम कर सकता है. नये अध्ययन के अनुसार हार्ट अटैक की समस्या का इतिहास रखने वाले बहुत सारे वयस्क मरीज एस्पिरिन का इस्तेमाल लगातार कर रहे हैं और इसके नतीजे भी सकारात्मक मिल रहे हैं.
मंगलवार को प्रकशित हुई मेडिकल जर्नल JAMA के अनुसार अध्ययन कहता है कि दूसरे हार्ट अटैक को रोकने के लिए बहुत से देशों में एस्पिरिन का इस्तेमाल किया जा रहा है. एस्पिरिन का उपयोग करने वाले रोगियों का अनुपात देश के अनुसार अलग-अलग है, हालांकि, अफगानिस्तान, बेनिन और इथियोपिया जैसे कम आय वाले देशों में 16.6% हैं वहीँ से लेकर चेकिया, यूके जैसे उच्च आय वाले देश जैसे अमेरिका और यूके में इसका सेवन 65% तक है।
अध्ययन में एक बात और भी स्पष्ट की गयी है कि यह शोध मुख्य रूप से दूसरे हार्ट अटैक के खतरे को कम करने के सम्बन्ध में है न कि पहले हार्ट अटैक को रोकने के सम्बन्ध में. बताया गया कि पहले दिल के दौरे या स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के लिए एस्पिरिन का उपयोग करना कितना कारगर साबित होगा इस पर अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है. एस्पिरिन का इस्तेमाल केवल अतिरिक्त दिल के दौरे या स्ट्रोक के खतरे को कम करने के लिए ही है जो कि पहले अटैक के रोकथाम के इलाज़ में बिलकुल अलग है. प्राथमिक रोकथाम के विपरीत, जहां एस्पिरिन का जोखिम-लाभ अनुपात उतना स्पष्ट नहीं है, माध्यमिक रोकथाम पर उपलब्ध शोध से पता चलता है कि एस्पिरिन लेने के लाभ उन लोगों के लिए अधिक हैं, जिन्हें दिल का दौरा या स्ट्रोक पहले एक बार हो चुका है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारी पूरे विश्व में मौत का प्रमुख कारण है. हार्ट अटैक से प्रति वर्ष लगभग 1.80 करोंड(18 मिलियन) लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ती है. एस्पिरिन के अध्ययन की बात करी जाये तो हार्ट अटैक से पीडित मरीजों को एस्पिरिन को इसलिए दिया जाता है जिससे कि रक्त को पतला करने में मदद मिले और जो धमनियां रक्त प्रवाह में रुकावट के कारण हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ाने में मदद करती हैं उसको रोकने में प्रमुख कार्य करती है.
यह अध्ययन वाशिंगटन विश्वविद्यालय, मिशिगन विश्वविद्यालय और दुनिया भर के अन्य संस्थानों की मदद से 51 देशों का डाटा विश्लेषण किया गया, यह सर्वेक्षण लगभग 8 से 9 वर्ष तक चला है. जिसमे पता चला कि एस्पिरिन का इस्तेमाल 23 ऐसे देश है जो कि निम्न माध्यम आय वाले देश हैं, 14 उच्च-माध्यम आया वाले देश एवं 7 ऐसे देश भी मिले जो कि सबसे कम आये वाले देशों की श्रेणी में हैं.
इस सर्वेक्षण में 40 से 69 वर्ष की आयु के 124,500 से अधिक वयस्कों ने अपने अनुभवों को साझा किया, जिसमे 10,500 से अधिक लोगों ने बताया कि वो लोग हार्ट अटैक और इससे सम्बंधित बीमारी के लिए एस्पिरिन का इस्तेमाल करते हैं.
अति महत्वपूर्ण जानकारी
नया अध्ययन आपके इलाज़ में बेहतरी में अवश्य ही सहायक है परन्तु एस्पिरिन या किसी भी दवाई का इस्तेमाल स्वयं के ज्ञान के चलते करने से परहेज करें एवं अपने डॉक्टर से सबसे पहले सलाह लें. यह लेख सिर्फ आपको एक शोध के बारे में जागरूक कर रहा है लेकिन आपको एस्पिरिन के इस्तेमाल हेतु बिलकुल भी प्रोत्साहित नहीं कर रहा है. ह्रदय रोग या इससे सम्बंधित किसी भी समस्या के लिए सबसे पहले डॉक्टर से ही सलाह लें उसके पश्चात् डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही दवाइयों का सवाल करें.
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