पिछले एक हफ्ते के भीतर कोरोना महामारी को लेकर अचानक बदले हालातों के मद्देनजर आज प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने एक उच्च स्तरीय बैठक को संबोधित किया. बैठक में संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना तो समय के साथ शिथिल नही हुआ लेकिन इसके खिलाफ लड़ाई में कहीं न कहीं जरुर शिथिलता आयी है जो कि चिंताजनक विषय है. भारत में अभी स्थिति जरुर सामान्य है लेकिन कई देशों में बेकाबू हुए संक्रमण के खतरे को देखते हुए प्रधानमंत्री ने एहतियात बरतने को लेकर निर्देश दिये. प्रधानमंत्री ने कोरोना से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा जैसे कि उचित व्यवहार के पालन, टेस्टिंग बढ़ाने और सतर्कता डोज के लिए विशेष अभियान चलाने को भी कहा. इस उच्च स्तरीय बैठक में गृहमंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया, विदेश मंत्री एस जयशंकर, नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य ¨सधिया के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.
लापरवाही ही कोरोना का मुख्य जरिया है
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बैठक में उपस्थित नीति आयोग के सदस्य वीके पाल ने कहा कि हमने दुनिया में कोरोना संक्रमण के हालातों पर पूरी रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट में न केवल विदेश बल्कि भारत में भी केसों को लेकर बताया गया. रिपोर्ट में बताया कि भारत में फ़िलहाल स्थिति बेहद सामान्य है, वर्तमान समय में प्रतिदिन के हिसाब से औसतन 150 नये मरीज मिल रहे और संक्रमण दर भी 0.14 फीसदी है. वहीँ अगर अन्य देशों की बात की जाये तो पिछले 1 महीने से प्रतिदिन 6 लाख के आसपास नये मरीज दर्ज हो रहे हैं.
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि “प्रधानमंत्री ने साफ किया है कि देश में भले ही कोरोना के मामले पूरी तरह से काबू में है, परन्तु इसका मतलब यह बिलकुल नही है कि इसके खिलाफ गंभीरता कम हो जाये. उन्होंने संक्रमण पर कड़ी नजर रखने और इलाज के लिए तैयार पूरे ढांचे, जिनमें अस्पतालों में बेड, आक्सीजन सिलेंडर, पीएसए प्लांट, वेंटीलेटर और कर्मचारी शामिल हैं, को पूरी तरह से तैयार रखने को कहा, ताकि किसी भी स्थिति से तत्काल निपटा जा सके।
अधिक टेस्टिंग-अधिक बचाव
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी बैठक में स्पष्ट किया कि देश में टेस्टिंग बढ़ाने और खासतौर पर हवाईअड्डों पर विदेशी यात्रियों की फिर से टेस्टिंग की शुरू करने की सख्त जरूरत है, ताकि विदेश से आने वाले खासकर कोरोना प्रभावित देश जैसे चीन, ब्राज़ील इत्यादि से यात्रा करने वाले यात्रियों की टेस्टिंग में कोई लापरवाही नही होनी चाहिए. टेस्टिंग ही एक मात्र जरिया है जिसके माध्यम से किसी भी वैरिएंट का पता चलाया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि सभी राज्य इसकी तैयार शुरू कर दें और मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग व्यव्हार को सकारत्मक स्वरुप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए.