भारत सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में आये दिन कोई न कोई प्रतिबन्ध और निर्णय ले रही बाई जिसका प्रमुख कारण आम जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ करने वाली फार्मा कंपनियों की मनमानी और लापरवाही है. फार्मा कम्पनियाँ पैसे बनाने के लिए बाज़ार में बहुत सी ऐसी दवाओं की भी बिक्री धड़ल्ले से करा रहीं है जिनका वास्तव में कोई भी चिकित्सीय औचित्य ही नही है.
दरअसल भारत सरकार ने निमेसुलाइड और घुलनशील पेरासिटामोल गोलियों एवं क्लोफेनिरामाइन मैलेट तथा कोडीन सीरप सहित 14 एफडीसी दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। जो की सामान्यतः किसी भी आम नागरिक को आसानी से उपलब्ध हो जाती थी, यहाँ तक कि इसके लिए उन्हें डॉक्टर के पर्चे की भी आवश्यकता नही महसूस होती है. सरकार ने इन प्रतिबंधो को लेकर स्पष्ट करते हुए बताया कि इन दवाओं का कोई चिकित्सीय औचित्य नहीं है और ये लोगों के लिए खतरनाक हो सकती हैं। ‘फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन’ (एफडीसी) वाली इन दवाओं पर प्रतिबंध लगाने के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर सभी मेडिकल से सम्बंधित विभागों को सूचित किया.
भारत सरकार के द्वारा प्रतिबंधित की गयी दवाओं में सामान्य संक्रमण, खांसी और बुखार के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली मिश्रित दवाएं शामिल हैं। इनमें निमेसुलाइड व पेरासिटामोल की घुलनशील गोलियां, क्लोफेनिरामाइन मैलेट + कोडीन सीरप, फोलकोडाइन + प्रोमेथाज़िन, एमोक्सिसिलिन + ब्रोमहेक्सिन और ब्रोमहेक्सिन + डेक्सट्रोमेथोर्फन + अमोनियम क्लोराइड + मेन्थॉल, पैरासिटामोल + ब्रोमहेक्सिन+ फिनाइलफ्राइन + क्लोरफेनिरामाइन + गुइफेनेसिन और सालबुटामोल + ब्रोमहेक्सिन के नाम हैं।
केंद्र सरकार ने अपनी अधिसूचना में यह भी स्पष्ट किया कि यह फैसला
विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के बाद ही लिया गया है। विशेषज्ञ समिति ने कहा कि “इस एफडीसी (फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन) का कोई चिकित्सीय औचित्य नहीं है और एफडीसी से मानव के लिए जोखिम शामिल हो सकता है। इसलिए, बड़े जनहित में, औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26 ए के तहत इस एफडीसी के विनिर्माण, बिक्री या वितरण पर रोक लगाना आवश्यक है।”
एफडीसी दवाएं वे होती हैं जिनमें एक निश्चित अनुपात में दो या दो से अधिक सक्रिय औषधीय सामग्री का मिश्रण होता है। वर्ष 2016 में, सरकार ने 344 दवा संयोजनों के निर्माण, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। यह घोषणा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित एक विशेषज्ञ समिति के यह कहने के बाद की गई थी कि संबंधित दवाएं बिना वैज्ञानिक डेटा के रोगियों को बेची जा रही हैं। इस आदेश को विनिर्माताओं ने अदालत में चुनौती दी थी। वर्तमान में प्रतिबंधित की गईं 14 एफडीसी संबंधित 344 दवाओं के संयोजन का हिस्सा हैं।