- केरल में मिले कोविड के नए वेरिएंट के बाद उत्तर प्रदेश में भी अलर्ट जारी
- सभी जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में तैयारी पूरी करने के निर्देश
- नए मरीजों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग कराई जाएगी
नई दिल्ली, 21 दिसम्बर 2023, केरल में मिले कोविड के नए वेरिएंट को लेकर उत्तर प्रदेश में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश के सभी जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में तैयारी पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं कोई भी कोविड का नया मरीज मिलने पर उसके सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग कराई जाएगी।
उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य महानिदेशक डॉक्टर दीपा त्यागी ने उत्तर प्रदेश के सभी अस्पतालों में अलर्ट जारी किया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अभी तक इस नए वेरिएंट का कोई केस नहीं मिला है, लेकिन एहतियातन अलर्ट जारी किया गया है।
डॉ. त्यागी ने कहा कि सभी अस्पतालों को कोविड के मद्देनजर तैयारियों को चुस्त दुरुस्त रखने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि पॉजिटिव मरीज के सैंपल की जीनोम सीक्वेसिंग कराए जाने का भी आदेश जारी किया गया है।
उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन से लेकर मरीज को भर्ती करने तक की पर्याप्त व्यवस्था करने के लिए भी संबंधित अधिकारियों को रोजाना तौर पर मॉनिटरिंग करने का भी निर्देश दिया गया है।
क्या होती है जीनोम सीक्वेंसिंग?
जिनोम सीक्वेंसिंग से वायरस के बारे में पूरी जानकारी पता चलती है। जीनोम सीक्वेंसिंग से ही कोरोना के नए वेरिएंट के बारे में पता चलता है।
जीनोम सीक्वेंसिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें वायरस के जीन को एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित किया जाता है। इस प्रक्रिया से वायरस के बारे में बहुत सारी जानकारी प्राप्त होती है, जैसे कि वायरस का आकार, आकार, प्रकार, और यह कितना खतरनाक है।
जीनोम सीक्वेंसिंग से यह भी पता चलता है कि वायरस में क्या बदलाव हुए हैं। अगर वायरस में कोई खतरनाक बदलाव हुआ है, तो यह जानना महत्वपूर्ण है ताकि उससे निपटने के लिए उपाय किए जा सकें।
जिनोम सीक्वेंसिंग का इतिहास
JN.1 एक कोरोनावायरस का उप-वंश है जो ओमिक्रॉन वैरिएंट से उत्पन्न हुआ है। यह पहली बार दिसंबर 2022 में लक्जमबर्ग में पाया गया था और तब से दुनिया भर में फैल गया है। भारत में, JN.1 का पहला मामला केरल में दिसंबर 2022 में सामने आया था।
JN.1 के लक्षणों में बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, थकान, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश शामिल हैं। कुछ मामलों में, JN.1 से पीड़ित लोगों में भी स्वाद या गंध की हानि, उल्टी या दस्त जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।
JN.1 के संक्रामक होने की क्षमता ओमिक्रॉन के अन्य उप-वंशों के समान है। यह अनुमान लगाया गया है कि JN.1 अन्य उप-वंशों की तुलना में अधिक गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता है।
JN.1 के प्रसार को रोकने के लिए, लोगों को वैक्सीन लगवाना, बूस्टर शॉट लेना, मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना और अपने हाथों को बार-बार धोना चाहिए।