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लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा राम के तो केजरीवाल हनुमान भरोसे

नई दिल्ली, 15 जनवरी 2024 – अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी जोर-शोर से चल रही हैं, पूरा देश इस वक़्त राम के स्वागत का बेसब्री से इंतजार कर रहा है, यहाँ तक विदेशों में भी राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा चर्चा का केंद्र बना हुआ है | इसी बीच, आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली में राम मंदिर उद्घाटन से पहले सुंदरकांड के आयोजन को लेकर बड़ा एलान किया है। आप के अनुसार, पार्टी दिल्ली के हर विधानसभा क्षेत्र के स्तर पर हर माह के पहले मंगलवार को सुंदरकांड का आयोजन करेगी।




आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह एलान किया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिल्ली के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में होगा। इसमें आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और आम जनता के सभी वर्गों के लोगों को आमंत्रित किया जाएगा।
भारद्वाज ने कहा कि सुंदरकांड एक पवित्र ग्रंथ है जो हमें भगवान राम के जीवन और आदर्शों से प्रेरित करता है। यह आयोजन लोगों को एक साथ लाकर और उन्हें धार्मिक भावनाओं से जोड़कर दिल्ली को एक सद्भावपूर्ण और शांतिपूर्ण शहर बनाने में मदद करेगा।

इस आयोजन के तहत प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक सुंदरकांड महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इसमें सुंदरकांड का पाठ किया जाएगा, भजन-कीर्तन होंगे और हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा। इन महोत्सवों में आम जनता के लिए प्रसाद और भोजन की व्यवस्था भी की जाएगी।पार्टी ने इस आयोजन के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है। समिति के सदस्यों ने बताया कि इस आयोजन को भव्य और सफल बनाने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।




आप के इस आयोजन को लेकर दिल्ली में राजनीतिक हलकों में चर्चा और तेज हो गई है। कुछ लोग इसे पार्टी का धार्मिक भावनाओं को भुनाने का प्रयास बता रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे दिल्ली को एक सद्भावपूर्ण और शांतिपूर्ण शहर बनाने की दिशा में एक अच्छा कदम मान रहे हैं। वहीँ आपको बता दें कि राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के सम्बन्ध में अभी तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को निमंत्रण नहीं मिला है जबकि उनकी सहयोगी पार्टी कांग्रेस के सभी प्रमुख नेताओं ने प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल होने से साफ़ इंकार कर दिया है. कांग्रेस के लिए राम मंदिर एक तरह से गले की हड्डी बन गया है जिसके चलते उनके पार्टी में भी विरोधी स्वर उठे हैं. वहीँ समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने निमंत्रण को स्वीकार करते हुए प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पश्चात् वो अपने परिवार के साथ रामलला के दर्शन हेतु जायेंगे, जिसको लेकर उन्होंने लिखित पत्र भी सोशल मीडिया पर साझा किया है.

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22 जनवरी को होना है राम मंदिर का प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम

जैसा कि हम सब जानते है कि आगामी 22 जनवरी को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर का उद्घाटन कार्यक्रम होना तय हुआ है। इसे लेकर विपक्षी दल भाजपा और केंद्र सरकार पर राजनीतिकरण का आरोप लगा रहे हैं। हालाँकि भाजपा इन सभी बातों को दरकिनार करते हुए भव्य कार्यक्रम की तैयारी में जुटी हुई है. इस भव्य कार्यक्रम के सहयोग में भाजपा के साथ आरएसएस, बजरंग दल और हिन्दू युवा वाहिनी सहित कई छोटे-बड़े संगठन भी दिन-रात प्रचार-प्रसार करने में लगे हुए हैं. इस उद्घाटन कार्यक्रम में देश के विभिन्न क्षेत्रों से विशिष्ट मेहमान सम्मिलित होंगे जिसमे खेल जगत, फिल्म जगत, उद्योग जगत, विज्ञान क्षेत्र सहित बहुत से मेहमान सम्मिलित होंगे. हालाँकि राज्य सरकार ने स्पष्ट आदेश दिया है कि 22 जनवरी को सिर्फ वही व्यक्ति ही अयोध्या पहुँचे जिन्हें आमंत्रित किया गया है. उत्तर-प्रदेश की योगी सरकार ने 22 जनवरी को सार्वजानिक अवकाश भी घोषित किया है.




कांग्रेस का अभी 5 साल और बढेगा वनवास ?

वहीँ कांग्रेस जो सत्ता में वापस आने के लिए दिन-रात नयी-नयी योजनाओं के साथ आम जनता के मध्य पहुँच रही हैं, लेकिन पार्टी का कोई न कोई एक निर्णय उन्हें वापस वहीँ पहुंचा देता है जहाँ वो अभी इस वक़्त मौजूद हैं. राम मंदिर का मुद्दा भाजपा के लिए हर चुनाव में सर्वोपरि रहा है और जगजाहिर है कि इस बार का चुनाव तो राम के नाम से ही मैदान में आया जायेगा. ऐसे में कांग्रेस के द्वारा राम मंदिर कार्यक्रम को सिर्फ इस लिए बहिष्कृत करना कि यह कार्यक्रम भाजपा के द्वारा किया जा रहा है तो बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है. विपक्ष को सरकार की नहीं बल्कि जनता की नब्ज़ को टटोलना चाहिए और जनता इस वक़्त राम मंदिर के उत्सव में पूर्णरूप से डूबी हुई है. ऐसे में कार्यक्रम में न जाना और उसको लेकर कांग्रेस और उनके सहियोगी दलों का विवादित बयान देना और भी नुकसानदायक हो रहा है. कुल मिलाकर अगले लोकसभा चुनाव में सत्ता में वापस आने की इस लड़ाई में उन्हें भाजपा से पहले राम भक्तों से जीतना होगा अन्यथा राम मंदिर निर्माण कहीं न कहीं कांग्रेस के लिए सत्ता में पुनः वापस लाने में बहुत बड़ा रोड़ा साबित होगा. कोई बड़ी बात नहीं कि कांग्रेस का वनवास भी मर्यादा पुरुषोत्तम राम की तरह ही 14 वर्ष से अधिक का हो जाये.

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