ग्रामोदय विकास योजना’ के तहत एमएसएमई मंत्रालय ने अगरबत्ती बनाने वाले कामगारों को लाभ पहुंचाने और गाँव के उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए एक नया प्रोग्राम की शुरवात किया है। प्रोग्राम में शुरुवात में चार पायलट पप्रोजेक्टों की शुरू किया जाएंगे, जिसमेंभारत के उत्तर-पूर्वी हिस्से में एक प्रोजेक्ट शुरू किया जायेगा । अगरबत्ती कारीगरों के प्रत्येक समूह को 50 के आस पास ऑटोमैटिक अगरबत्ती बनाने की मशीन और इसके साथ 10 मिक्सिंग मशीनें उपल्बध किया जायेगा | कारीगरों को लगभग 200 ऑटोमैटिक अगरबत्ती बनाने की मशीन और इसके साथ 40 मिक्सिंग मशीनें मुहैया कराई जाएंगी।
‘अगरबत्ती’ का घरेलू उत्पादन बढ़ेगा
इस प्रोजेक्ट कि घोषणा पर एक मंत्रालय दवारा एक बयान जारी किया गया जिसमे ये कहा गया है कि आयात नीति में ‘अगरबत्ती’ आइटम को “मुक्त” व्यापार से “प्रतिबंधित” व्यापार में रखने और ‘गोल बांस की छड़ों’, | गोल बांस की छड़ों को इस्तेमाल अगरबत्ती के उत्पादन में किया जाता है, लेकिन सरकार के आयात शुल्क को 10 प्रतिशत से बढ़ा कर 25 प्रतिशत के बाद से ही अगरबत्ती का घरेलू उत्पादन बढ़ेगा और इसके साथ साथ ग्रामीण रोजगार भी बढ़ेगा । इसके मदद से स्वदेशी ‘उत्पादन और मांग’ के बीच के अंतर में कम आएगी और देश के अंदर ‘अगरबत्ती’ के आयात करना भी घटेगा।
रोजगार के रास्ते बढ़ेंगे
अगरबत्ती व्यापार के इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य 1 लाख नौकरी लोगो को पैदा करना का है । जून में भारत सरकार ने बांस के आयात शुल्क 10 फीसदी से बढ़ा कर 25 फीसदी तक कर दिया था। भारत सरकार के इस प्रोजेक्ट से अगरबत्ती उद्योग में आने वाले कुछ ही महीनों में 1 लाख तक नौकरियां होंगी।