कहाँ 70 के दशक से पहले का महान पंजाब और कहां आज का पंजाब
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कहाँ 70 के दशक से पहले का महान पंजाब और कहां आज का पंजाब

“फूट डालो व राज करो” की नीति को अंग्रेज़ों ने जाते समय तक अपनाया और भारत का बँटवारा कर भारत को दो हिस्सों में बाँट गए । उस समय के राजनीतिक नेता नेहरू ने अपने सियासी फ़ायदे के लिए ख़ुशी-ख़ुशी भारत के दो टुकड़े होने दिए और इस बटवारे को स्वीकार किया।
इस बटवारे का सबसे ज़्यादा नुक़सान हमारे पंजाब को हुआ ।पंज+आब मतलब 5 दरियाओं की धरती । सम्पन्न धरती जिसे पंजाब कहा जाता था। लेकिन 1947 के बँटवारे ने जो ज़ख्म मेरे पंजाब को दिए है वो आज भी हरे हैं।
3 दरिया समेत पंजाब का एक बहुत बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में चला गया।हमारे गुरु नानक देव जी के जन्म स्थान ननकाना साहिब साहिब समेत अनेकों धार्मिक स्थल जो हमारी आस्था का केंद्र हैं वो पाकिस्तान में चले गए।हज़ारों की संख्या में पंजाब वासियों को अपनी जान गंवानी पड़ी व घर,ज़मीन,जायदाद सब छोड़कर एक दूसरे इलाकों में विस्थापित होकर बसना पड़ा।

1 नवंबर 1966 को पंजाब से अलग हो हरियाणा एक नया राज्य बना दोनों में ही पंजाब Regularaization ACT 1966 लागू हुआ । तुलनात्मक दृष्टि से अगर दोनों को देखा जाए तो दोनों ही एक कृषि प्रधान राज्य थे दोनों की जनसंख्या भी लगभग बराबर थी। हरियाणा और पंजाब दोनों में ही कम संख्या में होने के बावजूद जाट व जाट सिख राजनीतिक स्थिति को प्रभावित करते थे । अगर कम शब्दों में कहा जाए तो दोनों में सब प्रकार की स्थितियां एक दूसरे जैसी थी केवल अंतर भाषा का था पंजाब में पंजाबी बोले जाने लगी वह हरियाणा में हरयाणवी व हिंदी बोली जाने लगी

दोनों राज्यों के गठन के बाद दोनों तरक़्क़ी के लिए अपने अलग अलग रास्तों पर निकल पड़े। 1970 के बाद अब 80 के दशक का वो दौर आया जब पंजाब में आतंकवाद ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए लेकिन हरियाणा प्रगति की ओर आगे बढ़ चला। हरियाणा ने अपने शहरों का पूर्ण विकास करना शुरू कर दिया परिणाम स्वरूप आज देश के बढ़े कॉर्पोरेट,टेक्निकल आदि हब गुड़गाँव,फ़रीदाबाद व पंचकूला है ऐसे ही पानीपत,सोनीपत,करनाल रोहतक आदि शहरों ने भी ख़ूब तरक़्क़ी की कुल मिलाकर हरियाणा अपने शहरों को विकसित करता गया और विकास की ओर आगे बढ़ता रहा।
नतीजा यह हुआ कि हरियाणा हर क्षेत्र में पंजाब से आगे निकल गया चाहे वो खेल हो,खिलाड़ी हो व्यापार हो या उद्योग क्षेत्र हो

अब जब हम 1980 के दशक से लेकर आज 2020 तक के पंजाब को देखें तो पंद्रह साल आतंकवाद व नरसंहार को पंजाब और पंजाबवासी झेलते रहे हैं सभी धर्म व समुदाय के लोगों को जान,माल का नुक़सान उठाना पड़ा। लाखों की संख्या हिन्दू समुदाय के लोग पंजाब से विस्थापित हो हरियाणा व दिल्ली में जा बसे।आतंकवाद का सबसे बड़ा दंश ये रहा कि आतंकवाद 15 साल के इलावा उसके अगले 20 साल भी पंजाब का युवा बेरोज़गारी की दलदल में बुरी तरह डूब गया। अब यहाँ तक बात करें हम शहरों के विकास की तो पंजाब यहाँ भी हरियाणा से कहीं पीछे छूट गया और आतंकवाद ख़त्म होने के बाद पंजाब के युवाओं को एक दूसरे आतंकवाद ने अपनी बाहों में जकड़ लिया। वह था नशा ।बॉर्डर राज्य होने की वजह से पंजाब में नशा प्रतिदिन बढ़ता गया इसका सबसे बड़ा कारण सत्ताधारी सियासी नेताओं का इसमें शामिल होना और पैसा और पॉलिटिक्स का एक बेमिसाल गठजोड़ होना था। लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मेरा यह मानना है कि जैसे जो काम आग में पेट्रोल करता है वही काम इसमें पंजाब के अधिकतर कलाकारों व अदाकारों ने भी किया। उन्होंने अपने निजी आर्थिक फ़ायदे के लिए अपने गानों वे फ़िल्मों मे Gun Culture (हथियारों) व Drug Culture (नशा) को इतना बढ़ावा दिया कि पंजाब के नौजवान दिन प्रतिदिन इस दलदल में डूबते गये और नशा,शराब,हथियार को एक फ़ैशन की तरह लेने लगे है ।नतीजन आतंकवाद के बाद पंजाब को इस नशे के कारण अपने असंख्य होनहार बेटों को खो दिया। हमने अपने उन बेटों को खोया जो अगर जीवित होते और बॉर्डर पर खड़े हो शेर की तरह दहाड़ते और देश का मान बनते।

ये सोचकर आँखों में पानी आ जाता है की जो पंजाब कभी सोने की चिड़िया होता था, महाराजा रणजीत सिंह के जिस राज की उदहारण पूरी दुनिया भर के राजाओं व रियासतों में दी जाती थी उनके उस ख़ुशहाल पंजाब की इस दशा का ज़िम्मेवार कौन है?

1.वह प्रधानमंत्री जिसने टैंकों व तोपों से सचखंड श्री हरमंदिर साहिब पर हमला करवाया और पंजाब में आतंकवाद की आग लगाई?

2.या वो मुख्यमंत्री जिसने पंजाब के नौजवानों को फ़र्ज़ी मुठभेड़ों (मुक़ाबलों) में मरवाया?

3.या फिर वो राजनीतिक परिवार जिस परिवार के लोगों ने मुख्यमंत्री,उपमुख्यमंत्री और मंत्री रहते हुए नशे की इस लहर को पंजाब में तेज़ी से आगे बढ़ने दिया?

4.या फिर वो वर्तमान मुख्यमंत्री जो दो बार पंजाब का मुख्यमंत्री तो बना लेकिन मुख्यमंत्री बनते ही वह अपनी पाकिस्तानी पत्रकार महिला मित्र के साथ ऐसा व्यस्त हो जाता हैं कि फिर उसे अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए किसानों का सियासी इस्तेमाल करना पड़ रहा है?

कौन आखिरकार कौन ज़िम्मेवार है मेरे पंजाब इस स्थिति का:-
“जहाँ युवाओं के लिए ना रोज़गार हो”
“व्यापारी के लिए ना व्यापार हो”
“बीमार का ना उपचार हो”
“शिक्षा का ना कोई मयार हो”
“नशे का पुरा कारोबार हो”
यह तय करना होगा की इस स्थिति का कौन ज़िम्मेवार हो?”

लेखक
गोल्डी भारद्वाज
लेखक,राजनीतिक विशेषज्ञ,समाज सेवक

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