देश के साथ दिल्ली भर में कोरोना वायरस का खौफ फैला हुआ है। ऐसे में प्रशासन के अलावा पुलिस के ऊपर ज्यादा जिम्मेदारी आ गई है, क्योंकि पुलिस एक ऐसा संस्थान है, जो समाज के हर हिस्से में न सिर्फ मौजूद है बल्कि समाज के हर तबके के हर शख्स तक उसकी पहुंच है। दिल्ली में आबादी और प्रमुखता के लिहाज़ से सेंट्रल दिल्ली महत्वपूर्ण मानी जाती है। पूरे जिले में लाखों की संख्या में लोग रहते हैं। एलएनजेपी जैसा अस्पताल है जो कोरोना वायरस के लिए लगभग डेडीकेटेड है। ऐसे में इसकी तैयारियां भी खास हैं। ‘सरकारी हेल्पलाइन’ वेबसाइट के फ़ाउंडर वैभव मिश्रा ने सेंट्रल जिले के डीसीपी संजय भाटिया से उनकी तैयारियों और उनकी कवायदों को लेकर बातचीत की।

लॉकडाउन तोड़ने वालों के खिलाफ क्या कार्यवाही हो रही है ?
लॉकडाउन तोड़कर कोई न सिर्फ अपना नुकसान कर रहा है, बल्कि समाज को भी खतरा पहुंचा रहा है। इसलिए पुलिस लॉक डाउन तोड़ने वालों के खिलाफ सख्ती से निपट रही है। यहां तक कि बिना मास्क के भी घर से बाहर निकलने पर पुलिस एफआईआर कर रही है। अब तो थूकने पर भी पाबंदी हो गई है।
लोगों को जागरूक करने के लिए पुलिस क्या कर रही है ?
सेंट्रल जिले में घनी आबादी होने के कारण पुलिस जून से निगरानी रख रही है। सड़कों पर पेट्रोलिंग के अलावा ड्रोन से नजर रखी जा रही है और जहां भी लोग इकट्ठा हुए दिख रहे हैं, वहां पुलिस की टीम पहुंचकर कार्रवाई कर रही है। पुलिस लगातार जिप्सी से या बाइक से घूमते हुए मुनादी कर रही है, जिसमें लोगों को घर पर रहने की हिदायत दी जा रही है। पुलिस उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद ही बता रही है, जिसकी डर से लोग घर में रहे। ज्यादातर लोग वायरस से बचने के लिए घर में रह रहे हैं, लेकिन कुछ उपद्रवी बाहर निकल रहे हैं, जिनसे पुलिस अपने तरीके से निपट रही है। उनके खिलाफ़ महामारी कानून के तहत एफआईआर दर्ज हो रही है।
जिले में कई सारे धार्मिक स्थल हैं और इस दौरान कई त्योहार भी। ऐसे में लॉकडाउन का पालन कराने के लिए प्रशासन क्या उपाय कर रही है?
चाहे जामा मस्जिद जैसी बड़ी मस्जिद हो या झंडेवालान जैसा बड़ा मंदिर। धार्मिक सद्भाव के साथ ही लोगों को कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़नी है। पिछले दिनों सेंट्रल दिल्ली के 13 मस्जिदों से 102 लोग निकाले गए थे, जिसमें 52 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित मिले थे। पुलिस लगातार यह सुनिश्चित कर रही है कि किसी भी तरह की धार्मिक, सामाजिक या राजनीतिक गतिविधि इलाके में ना हो, जिससे भीड़ बढ़े।
कितनी मुश्किल हो गई है पुलिसिंग?
कोरोना वायरस के दौरान दिल्ली की पुलिसिंग बदल गई है। अब लोगों को अपराधियों से बचाने के बजाय ऐसे दुश्मन से बचाना है, जो दिख भी नहीं रहा है। लोग कोरोना वायरस से तो खुद को बचा रहे हैं, लेकिन वह भुखमरी से ना परेशान हो जाए, इसके लिए पुलिस भी लगातार खाना बंटवा रही है। गरीबों के घर राशन पहुंचाने के अलावा पुलिस अब तक 3.30 लाख से ज्यादा लोगों तक खाना पहुंचा चुकी है। इसके लिए बकायदा एक एसीपी मिहिर सक्सेना को जिले का नोडल अधिकारी बनाया गया है। पुलिस हथियार के रूप में अपने पास सैनिटाइजर और मास्क रखे हुए हैं, जबकि गरीबों को भी मास्क बांटा जा रहा है। कई पुलिस थानों में भंडारे की भी व्यवस्था की गई है, जहां लोग आकर खाना खा सकें।