India

NHSRCL निविदा की नयी शर्तें बुलेट ट्रेन परियोजना की रफ्तार पर लगा सकती हैं ब्रेक?

नई दिल्ली – मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड ट्रेन परियोजना के सी2 पैकेज के लिए निविदा प्रक्रिया में नए प्रावधानों की शुरुआत उन प्रमुख इंफ्रा कंपनियों को अच्छी नहीं लग रही है, जो इस प्रतिष्ठित परियोजना के लिए बोली लगा रही हैं. सूत्रों ने शुक्रवार को ये संकेत दिया. नए मानदंड बोली लगाने में अड़चन पैदा कर सकते हैं. साथ ही बोली लगाने को इच्छुक इंफ्रा कंपनियों के लिए चिंता पैदा कर सकते हैं.

विभिन्न कंपनियों के अंदरूनी सूत्रों, जिनसे हमने बात की, ने नए प्रावधानों को “मनमाना” करार दिया. कंपनियों का कहना है कि ये प्रावधान ऐसे हैं को जो लंबी अवधि में परियोजना की कुल लागत में बड़ी वृद्धि का कारण बनेंगे. उन्होंने परियोजना की सुपुर्दगी के पहलुओं पर भी ध्यान दिलाया क्योंकि कई बड़ी कंपनियां नए नियमों के बाद खुद को मुश्किल में पाती हैं.

नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) फास्ट-ट्रैक रेलवे परियोजनाओं के निर्माण के लिए काम लीज पर दे रहा है. ये विशिष्ट कार्य हैं और इनको पूरा करने बड़ा खर्च होता है. उद्योग के एक अंदरूनी सूत्र के अनुसार, NHSRCL ने C2 पैकेज के लिए बोली लगाने वालों के लिए कुछ नए नियम निर्धारित किए हैं. सी1 पैकेज के लिए बोली लगाते समय ये नियम नहीं थे. नए नियमों में से एक नियम कहता है कि बोलीदाताओं ने “बोली जमा करने की तारीख से पिछले तीन वर्षों में न तो कोई ऋण पुनर्गठन प्राप्त किया हो और न ही किसी ऋण के लिए आवेदन किया हो”.

नयी शर्ते उद्योग जगत को करेंगी प्रभावित

NHSRCL की ये शर्त उद्योगों के लिए चिंता का विषय बन गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि अधिकांश उच्च मूल्य वाली इन्फ्रा परियोजनाएं और कंपनियां काफी हद तक ऋण के बदौलत ही काम करती हैं. इसलिए ये नई शर्त ठेकेदारों को असहज कर रही है. सी1 पैकेज की टेंडरिंग प्रक्रिया के दौरान यह क्लॉज नहीं था. इस कारण उस पार्टी को बोली लगाने की अनुमति मिली जिसने पिछले तीन वर्षों में कोई ऋण पुनर्गठन प्राप्त किया था. ऐसे मामलों में, बोली लगाने वाली पार्टी को एक समर्पित “ट्रस्ट एंड रिटेंशन अकाउंट” (टी एंड आर अकाउंट) खोलना होगा और विक्रेताओं, आपूर्तिकर्ताओं, उप-ठेकेदारों और अन्य सलाहकारों की सूची प्रस्तुत करनी होगी, जिन्हें बैंक सीधे भुगतान करेगा. ये ठेकेदार को किसी अन्य कार्य के लिए धन को डायवर्ट करने से रोक रहे थे. हालांकि, जारी किए गए नए मानदंडों में इसे हटा दिया गया है.

अब तक, C1 पैकेज टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और एक संयुक्त उद्यम बोलीदाता को पहले ही प्रतिस्पर्धी मूल्य उद्धृत करने के लिए सबसे कम बोली लगाने वाला घोषित किया जा चुका है. रिपोर्ट के अनुसार सबसे कम और दूसरी सबसे कम बोली के बीच का अंतर लगभग 600 करोड़ है. अब, नए खंड जो “ट्रस्ट एंड रिटेंशन” खातों को गैर लागू करते हैं, इस कारण मौजूदा ठेकेदार जिन्होंने परियोजना के अलग-अलग पैकेज जीते हैं, खुद को ऐसी स्थिति में पाते हैं जहां वे निविदा प्रक्रिया के लिए योग्य नहीं हैं.

विशेषज्ञों के अनुसार नये संशोधन से हो सकता है नुकसान  

इस प्रकार, वे बोलीदाता जो पहले से ही ऋण पुनर्गठन प्राप्त कर चुके हैं या प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं, बोली में भाग लेने के पात्र नहीं होंगे, जिससे पूरी प्रक्रिया में प्रतिस्पर्धा कम हो जाएगी. विशेषज्ञों के अनुसार, यह संशोधन कई तकनीकी रूप से मजबूत कंपनियों को बोली में भाग लेने से सीधे तौर पर बाहर कर देता है, खासकर जब भारतीय बाजार में बहुत कम योग्य कंपनियां इन उच्च मूल्य निविदाओं के लिए प्रतिस्पर्धा करने के लिए मौजूद हैं. स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के उन्मूलन के परिणामस्वरूप एनएचएसआरसीएल को भी नुकसान होगा और परियोजना के निष्पादन में सरकार के लिए बोझ बन सकता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *