पूरी दुनिया कोरोना महामारी के संकट से गुजर रही है। इसी को देखते हुए भारत सरकार ने एहतियात के तौर पर पूरे देश में 25 मार्च 2020 से 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित कर दिया है। इस दौरान लोगों को घरों में ही रहने की सलाह दी गई है।
ऐसे वक्त में लोगों के लिए दूरदर्शन पुनः जीवन संजीवनी का काम कर रहा है। जनता की भारी मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने दूरदर्शन के सबसे चहेते और पुराने कार्यक्रमों जैसे कि रामायण, महाभारत और शक्तिमान को पुनः प्रसारित करने का निर्णय लिया है। इसी विषय को लेकर दूरदर्शन न्यूज के वरिष्ठ पत्रकार और एंकर अशोक श्रीवास्तव (twitter @AshokShrivasta6 ) से हमारे सहयोगी अभिलाष श्रीवास्तव (twitter @mediabhi) ने बातचीत कर उनके विचार जानने की कोशिश की है।
सवाल: जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है ऐसे में केंद्र सरकार ने दूरदर्शन के साथ मिलकर जो पहल की है उसे आप कैसे देखते है?
जवाब: हम सब जानते हैं कि कोरोना मानव से मानव में फैलता है और अब तक इसकी कोई दवा नहीं है। इसलिए लॉक डाउन और सोशल डिस्टेंसिग ही कोरोना को हराने का जरिया है। ऐसे माहौल में जबकि लोगों को 21 दिन 24 घंटे घर पर ही रहना है तो ज़रूरी यह है कि लोगों के घरों तक सुरुचिपूर्ण मनोरंजक कार्यक्रम भी पहुंचें और सही जानकारी भी। और मुझे बेहद खुशी भी है और गर्व भी कि दूरदर्शन और डीडी न्यूज़ यह जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। और इसमें सबसे अहम है रामायण और महाभारत धारावाहिकों का पुनः प्रसारण। जिन लोगों ने 80 और 90 क दशक का दौर देखा है वो जानते हैं कि जब रामायण और महाभारत का दूरदर्शन पर आते थे तब देश के शहरों और गांवों में “जनता कर्फ्यू” लग जाता है। लोग अपने टीवी सेट से चिपक कर बैठ जाते थे। सब काम धंधा बन्द हो जाता था। अब जबकि देश में लॉक डाउन है ऐसे में रामायण और महाभारत का पुनः प्रसारण करना दूरदर्शन का देश और जनता के हित में लिया गया बेहद अहम फैसला है। और मुझे इस बात की खुशी है कि जिस तरह लंका तक राम सेतु को बांधने में वानर सेना के सैनिकों ने अहम भूमिका निभाई वैसी छोटी सी भूमिका मेरी भी है।
दरअसल लॉक डाउन का ऐलान होते ही कुछ लोगों ने ट्विटर पर मुझे टैग करके लिखना शुरू किया कि इस माहौल में लोगों को घरों में रहने को प्रेरित करने के लिए रामायण और महाभारत का पुनः प्रसारण शुरू करना चाहिए। लोगों की भावनाओं को समझते हुए उनका यह सुझाव मैंने सूचना और प्रसारण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर और प्रसार भारती के सीईओ श्री शशिशेखर वेम्पति तक पहुंच दिया। दोनों को यह सुझाव बहुत पसंद आया और अगले दो दिन बाद ही इन दोनों धारावाहिकों का प्रसारण शुरू हो गया।
मज़े की बात यह है कि जैसे ही मैंने इस फैसले के बारे में ट्विटर पर लिखा लोगों की एक के बाद एक डिमांड आने लगी कि शक्तिमान , शुरू करें, चाणक्य दिखाएं, व्योमकेश बक्शी का पुनः प्रसारण करें। और अब ये सभी धारावाहिक दूरदर्शन पर दिखाए जा रहे हैं। और अचानक दूरदर्शन की दर्शक संख्या कई गुना बढ़ गई है।घर-घर में आज एक बार फिर दूरदर्शन देखा जा रहा है। प्राइवेट चैनल परेशान हैं। कई चैनलों ने महाकाव्यों पर बने अपने पुराने धारावाहिकों को निकाल कर प्रसारित करना शुरु कर दिया है। पर सच तो ये है कि जो रस जो आनंद रामानंद सागर के धारावाहिक रामायण और बीआर चोपड़ा के महाभारत में है और जो जुड़ाव दूरदर्शन के साथ देश का है वो बात किसी और में कहाँ?
सवाल: करीब दो दशकों से आप दूरदर्शन से जुड़े हुए हैं, इसके रग—रग से वाकिफ हैं। क्या कारण थे जो दूरदर्शन सुस्त पड़ा था? इसे अब नई ऊर्जा का संचार समझें?
जवाब: मुझे इस बात को स्वीकार करने में कोई गुरेज नहीं कि बीते कुछ दशकों में प्राइवेट चैनलों की बाढ़ में दूरदर्शन की व्यूवरशिप बह गई। कारण बहुत सारे हैं पर मोटे तौर पर मैं कहूंगा कि 90 के दशक में जब प्राइवेट चैनलों का प्रसारण शुरू हुआ तब दूरदर्शन को मार्किट में बने रहने के लिए जो बदलाव करने थे, नई चुनौतियों से निपटने के लिए जो कदम उठाने थे वो नहीं उठाए। लाल फीताशाही, अफसरशाही और गैर-पेशेवराना रवैये की वजह से दूरदर्शन पिछड़ता गया। बहुत हद तक मैं इसके पीछे एक साजिश भी देखता हूँ। कुछ प्राइवेट प्लेयर्स ने शीर्ष पर बैठे लोगों के साथ मिलकर दूरदर्शन के संसाधनों का इस्तेमाल किया और अपने चैनल खड़े कर लिए। जिन संसाधनों के दम पर दूसरे चैनल खड़े हो गए, चल गए खुद दूरदर्शन उन संसाधनों का अपने लिए उपयोग क्यों नहीं कर पाया ? दूरदर्शन के पास प्रतिभा की भी कोई कमी नहीं पर अफसरशाही ने कई प्रतिभाओं का गला घोंट दिया। मैं ऐसे कई नाम गिना सकता हूँ जो दूरदर्शन छोड़ कर प्राइवेट चैनलों में गए और वहां उन्होंने सफलता के झंडे गाड़ दिए, पर उन्ही प्रतिभाओं को यहां आगे नहीं बढ़ने दिया गया। क्यों ?
आज भी दूरदर्शन के पास जो “ताकत” है उसका कोई जोड़ नहीं। जब दूरदर्शन अपनी क्षमता का इस्तेमाल करता है तब कोई उसके सामने कहीं नहीं टिकता, इसका उदाहरण आप गणतंत्र दिवस की परेड के टेलीकास्ट के समय देख सकते हैं। पर साल में कुछ दिन नहीं, हर दिन हमें अपनी क्षमता का अधिकतम उपयोग करना होगा।कुछ -कुछ बदलाव हो रहा है पर इसके लिए अभी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है।
सवाल: कोरोना से लड़ने के लिए सरकार जो प्रयास कर रही है उससे विपक्ष बेहद खफा है। क्या वास्तव में कमी रह रही है या यहां भी बस राजनीति है?
जवाब: विपक्ष का काम है सरकार की आलोचना करना, लेकिन जब पूरी दुनिया एक महामारी के संकट से गुज़र रही हो तो भी क्या विपक्ष को सिर्फ आलोचना करनी चाहिए ? दुर्भाग्य से भारत का विपक्ष दिग्भ्रमित हो गया है, उसे पता ही नहीं कब क्या करना है, कब क्या बोलना है। ईश्वर उसे सही मार्ग दिखाए, इससे ज़्यादा इस पर अभी क्या कहा जाए !
सवाल : दूरदर्शन की पहुंच अब भी देश के हर घर मे है। ऐसे में इस महामारी से बचने को लेकर दूरदर्शन कैसे प्रयास कर रहा है? साथ ही लोगों से आप क्या अपील करना चाहता हैं?
जवाब: कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जो काम दूरदर्शन और डीडी न्यूज़ कर रहा है उसके सामने आज कोई चैनल कहीं नहीं ठहरता। कोरोना को लेकर लोगों तक सही जानकारी पहुंचे इसके लिए कई कार्यक्रम शुरु किये गए हैं, देश के प्रमुख डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ आम लोगों का लगातार संवाद कराने के लिए हमने कई कार्यक्रम शुरू किए हैं।कोरोना को लेकर जो भ्रामक जानकारियां/ फेक न्यूज़ फैलाई जा रही हैं हम उनसे भी लगातार लोगों को अवगत करा रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिग का ख्याल रखने के लिए, आफिस में भीड़ न हो इसका ख्याल रखने के लिए हम हर रोज़ अपने एक तिहाई स्टाफ से ही काम चला रहे हैं । और इसका पूरा श्रेय मैं हमारे महानिदेशक श्री मयंक अग्रवाल को देता हूँ जो इन हालात में इन चुनौतियों में शानदार नेतृत्व कर रहे हैं। मेरी भी लोगों से अपील है कि सरकार द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन करें। अगर हम सब थोड़ा सी सावधानी बरतें तो इस जंग में जीत दूर नहीं। मुझे विश्वास है मेरी प्रशंसक और दोस्त सभी नियमों का पालन कर रहे होंगे।
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