पंजाब,21 सितम्बर, उत्तर-पश्चिम लोकसभा सांसद पद्मश्री हंसराज हंस ने पंजाब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को कोरोना महामारी की वजह से आर्थिक तंगी से गुजर रहे कलाकारों की मदद के लिए पत्र लिखा, मुख्यमंत्री महोदय से आग्रह किया कि लॉकडाउन के दौरान बहुत बड़ी आर्थिक विपन्नता का सामना करने वाले वर्ग की ओर ले जाना चाहता हूँ | लॉकडाउन ने हस्तशिल्प कारीगरों, बड़े व छोटें कलाकारों व लोक गायकों को सबसे अधिक प्रभावित किया है। इन लोगों की जीविकापार्जन पर गहरा संकट मंडरा रहा है क्योंकि इनके आय के सभी साधन कोरोना महामारी के चलते प्रभावित हुये हैं। आर्थिक समस्या का समाना कर रहे इस वर्ग की संख्या भी काफी अधिक है, यदि किसी प्रकार से इन सभी लोगों को राहत राशि पहुंचाकर इनकी सहायता की जाये तो इनके मन का एक-एक कण आपकी करूणा से प्रफुल्लित हो उठेगा । ये राहत राशि न केवल लाखों लोगों को जीवित रहने के अवसर प्रदान करेगी, बल्कि भारतीय परंपराओं और संस्कृति की दीर्घायु और प्रासंगिकता भी सुनिश्चित करेगी।
हंस राज हंस ने आगे लिखा कि मौजूदा समय की परिस्थिति यह सुनिश्चित कर रही है कि एक वर्ष के लिए, सभी कलाकारों, लोक गायकों और नर्तकियों, थियेटर अभिनेताओं, वाद्य निर्माताओं और लाइट एंड साउंड तकनीशियनों के पास आय का कोई स्रोत नहीं है। ट्रांसजेंडर कलाकार, स्ट्रीट थियेटर मंडली, यहां तक कि युवा जिमनास्ट और हर रोज स्टेज पर नृत्य व गायन का प्रदर्शन करने वाली महिलाओं को दो जून की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
कलाकार और हस्तशिल्प कामगार गैर-कृषि ग्रामीण भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, जिनकी अनुमानित आजीविका कमाने के लिए शिल्प उत्पादन में लगे आधिकारिक आंकड़ों (और अन्य स्रोतों के अनुसार 200 मिलियन तक ) हैं, भारतीय कलाकार और कारीगर धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं । संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पिछले 30 वर्षों में, भारतीय कारीगरों की संख्या में 30 प्रतिशत तक की कमी आई है।
पारंपरिक हस्तशिल्प के लिए वैश्विक बाजार में यू.एस.डी 400 बिलियन डॉलर है, जो कि 2 प्रतिशत से कम है, जो कि एक बेहतर विकास अवसर का प्रतिनिधित्व करता है। भारत में शिल्प क्षेत्र बहुत असंगठित और अनौपचारिक है, जिसमें 42 प्रतिशत कारीगर अपने घरों से बाहर काम कर रहे हैं।
शिल्प उत्पादक परिवारों के 50 प्रतिशत मुखियाओं की कोई शिक्षा नहीं है, इन परिवारों में 90 प्रतिशत महिलाएं पूरी तरह से अशिक्षित हैं। यह शिल्प एक पारिवारिक गतिविधि है, क्योंकि उनमें से 76 प्रतिशत परंपराओं और विरासत के लिए अपने पेशे का प्रतिनिधित्व करती हैं।
माननीय वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत वार्षिक बजट 2020-21 में संस्कृति मंत्रालय को 3,150 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले वर्ष के बजट की तुलना में 108 करोड़ रुपये अधिक है, यदि संस्कृति मंत्रालय इस राशि को अपने जमीनी स्तर पर संगीतकारों और शिल्पकारों के लिए मामूली रूप से उपयोग करे तो यह, इस महामारी की स्थिति के दौरान बहुत सारे कलाकारों और उनके परिवारों को बचाने में हमारी मदद कर सकता है। स्वीकृत अनुदान या सहायता को , थर्ड जेंडर के लिए, छोटे कारीगरों के व्यक्तिगत खातों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।