क्या सवर्णों को जज बनने का मौलिक अधिकार है : उदित राज
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क्या सवर्णों को जज बनने का मौलिक अधिकार है : उदित राज

21 जून को दलितों की सबसे बड़ी वर्चुअल रैली होगी : उदित राज

सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ फिर होगा घेराव : उदित राज

क्या सवर्णों को जज बनने का मौलिक अधिकार है : उदित राज

तमिलनाडु की डीएमके, एआईडीएमके, सीपीआई-एम समेत विभिन्न पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर माँग की थी कि राज्य के मेडिकल कॉलेजों में ओबीसी आरक्षण को 50 फ़ीसद कर दिया जाए | परन्तु इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि, “तमिलनाडु में पिछड़े वर्ग के लोगों की भलाई के लिए सभी पार्टियां एक साथ मिलकर आई हैं ये वाकई में किसी चमत्कार से कम नही है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट पहले ही अपना रुख स्पष्ट चुकी है कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है बल्कि कानून है |

सुप्रीम कोर्ट की इस टिपण्णी के बाद पूर्व सांसद एवं कांग्रेस पार्टी के दलित नेता उदित राज ने तल्ख़ टिपण्णी करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर यह जवाब दिया कि आरक्षण मौलिक अधिकार नही, मैं जनता हूँ ऐसा क्यों कहा क्यों कि सवर्णों का मौलिक अधिकार है कि वो जज बन सके, जब भी दलित-पिछड़ों से सम्बंधित किसी भी अधिकार के बारे में बात की जाती है तो जजों द्वारा इसी तरह के जजमेंट आते हैं, क्या कोई और दलित नेता बता सकता हैं कि मेरे सिवा किसी और ने जजों के खिलाफ बोला हो, मैंने आरक्षण बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को भी घेरा है जिसके लिए मुझे गिरफ्तार किया गया, या सुश्री मायावती, रामविलास पासवान और अठावले जैसे नेताओं ने कभी कुछ बोला क्या कभी संसद में दलित की भलाई या उनके अधिकार के लिए कोई मुद्दा उठाया ? नही. जब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था तब किसी को कुछ याद नही आया था लेकिन जब दलितों को देने की बात होती है तो सुप्रीम कोर्ट को सारी सीमाएं याद आ जाती हैं |

उदित राज ने आगे कहा कि भाजपा ने वर्चुअल रैली शुरू कर दी है, इससे यह स्पष्ट होता है कि देश में लॉक डाउन अभी नही खुलने वाला, और जब तक लॉक डाउन खुलेगा तब तक दलितों के लिए सब ख़त्म हो चूका होगा, आज यह सरकार निजीकरण करने पर तुली हुई है, एअरपोर्ट से लेकर पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग सब कुछ निजीकरण की भेंट चढ़ रहा है | मोदी सरकार ने कोरोना का फायदा उठाते हुए दलितों के खिलाफ साजिशन यह सब निजीकरण करना शुरू किया जिससे दलित अपनी आवाज़ न उठा सके | इन्हें लगता है कि दलित और पिछले सोशल मीडिया पर नही है इसलिए जो चाहे वो तब तक कर सकते हैं लेकिन ऐसा नही होने दूंगा, 21 जून को देश की सबसे दलित वर्चुअल रैली मेरे नेतृत्व में होगी और इस न्यायपालिका के द्वारा थोपे जा रहे फैसलों को हम नही मानेंगे |

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