सफूरा, शरजील या पिंजरा तोड़ गैंग के कारण 53 निर्दोष लोगों ने दिल्ली दंगों में गवाई थी जान
नई दिल्ली: इन दिनों सफ़ूरा जरगर सुर्ख़ियों में हैं। आप सोशल मीडिया पर जाएंगे तो आपको इस नाम के साथ इतने सारे पोस्ट और इतनी सारी ख़बरें मिलेंगी कि आपको ऐसा लगेगा जैसे भारत में एक प्रेगनेंट महिला के साथ बहुत बड़ा अन्याय हो रहा है। उसे कोरोना के समय में गर्भवती होने के बावजूद बिनाअपराध जेल में डाल दिया गया है। पूरा नैरेटिव देश में इस वक़्त सेट करने की कोशिश हो रही, है लेकिन क्या आप जानते हैं सफ़ूरा जरगर कौन है और इन पर आरोप क्या हैं?
कहने के लिए सफूरा जामिया मिलिया में एक M Phil की छात्रा हैं। पर उनपर बेहद गंभीर आरोप हैं, दिल्ली में जो फ़रवरी में दंगे हुए थे उन दंगों को भड़काने का आरोप लगा है सफ़ूरा जरगर पर। 10 अप्रैल को उनको पुलिस ने यूएपीए, अनलॉफुल ऐक्टिविटी प्रिवेन्शन ऐक्ट के तहत गिरफ़्तार किया था। पुलिस का ऐसा दावा है कि उनके पास इस बात के पुख़्ता सबूत है कि दिल्ली दंगों के समय उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भीड़ को भड़काने में सफ़ूरा जरगर का बहुत बड़ा हाथ था। इसी आधार पर सफ़ूरा को गिरफ़्तार किया गया।
लेकिन मीडिया के एक हिस्से में यह चलाया जा रहा है कि सफ़ूरा जरगर प्रेगनेंट हैं और प्रेगनेंट महिला को जेल में डाल दिया है। ये वही लोग हैं जो पहले CAA के नाम पर देश को, दिल्लीवालों को भड़काते रहे और जिन्होंने देश में और दिल्ली में दंगे करवाए। मैं आपको सिर्फ़ ये बता दूं सफ़ूरा जरगर का जो मामला है वो एक बार नही बल्कि तीन बार अदालत गया है। सफ़ूरा जरगर को बेल दिलाने के लिए यह मामला तीन बार अदालत में गया लेकिन तीनों बार अदालत ने इस मामले को रेजेक्ट कर दिया। इसका मतलब साफ़ है कि सफूरा जरगर के खिलाफ पुलिस के पास जो सबूत हैं, वो गंभीर हैं।
जब अदालत में सफूरा जरगर की बेल एप्लीकेशन पर बहस चल रही थी, तब जज ने भी टिप्पणी की, कि जब आप अंगारों के साथ खेलते हैं तो चिंगारी से आग भड़कने के लिए हवा को दोष नहीं दे सकते। अगर इस टिप्पणी को समझेंगे तो इसका मतलब साफ है कि सफूरा पर जो आरोप हैं और उनके खिलाफ पुलिस ने जो कुछ तथ्य अदालत के सामने रखे वह बहुत गंभीर हैं। बड़ी बात यह है कि अब यह कहा जा रहा है कि वह प्रेग्नेंट महिला हैं और स्टूडेंट हैं, पहली बात अगर वो स्टूडेंट हैं तो क्या वो स्टूडेंट कि तरह व्यवहार कर रही थी? जब दिल्ली में सीएए के खिलाफ़ आंदोलन हुए और लोगों को भड़काया गया तब सफूरा का व्यवहार किस तरह का था ये सब जानते हैं। कई वीडिओ हैं, जिसमे साफ़ देख सकते हैं कि वो देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री को आतंकवादी कह रही हैं। कहती हैं कि मैं इनको मानती ही नहीं कि ये देश के प्रधानमंत्री या गृहमंत्री हैं, मैं इनको आतंकवादी मानती हूं।
भारत की राजधानी में खड़े होकर सफूरा जरगर नारे लगती हैं, कश्मीर मांगे आज़ादी, दिल्ली मांगे आज़ादी। आखिर, ये कश्मीर और दिल्ली को किस्से आज़ादी दिलवा रही थी? वो ये भी कहती हैं कि दिल्ली और कश्मीर के खून से इंकलाब आएगा। इस तरह के खून बहाने वाले नारे, भारत से कश्मीर, बिहार को अलग करने के नारे, आज़ाद भारत में आज़ादी की मांग वाले नारे लगाना, दरअसल एक तरह से भारत के ख़िलाफ़ युद्ध का उद्घोष था।
जब वो देश के खिलाफ़ युद्ध का उद्घोष कर रही हैं, लोगों को दंगो के लिए भड़का रही हैं, तो ये कैसे कह सकते हैं कि वो निरपराध हैं। एक बात और बहुत महत्वपूर्ण है कि सफूरा जरगर पहली प्रेग्नेंट महिला नहीं है जिनको जेल में जाना पड़ा है, इससे पहले भी बहुत सारी प्रेग्नेंट महिलाएं जेल में हैं, जब वो अपराध करती हैं या उनके खिलाफ़ कोई संगीन आरोप होता है तो उनको जेल में जाना पड़ता है। जज ने जब सफूरा जरगर की बेल रिजेक्ट की तब उन्होंने अपने आदेश में ये भी कहा अगर उनको किसी भी तरह की कोई बीमारी है, तो उनका पूरी तरह से ख्याल रखा जाए। जेल में उनको जो भी मेडिकल सहायता की जरूरत हो उनको दी जाएै डॉक्टर उनका विशेष तौर पर ख्याल रखें। जेल में जो भी प्रेग्नेंट महिलाएं होती हैं उनका ख्याल रखने के लिए एक अलग तरह की व्यवस्था होती है, साफ सफाई से लेकर डॉक्टर की मौजूदगी जैसे तमाम इंतज़ाम जेल में होते हैं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि उनको आम कैदियों की तरह जेल में रखा जाता है, जिस तरह प्रेग्नेंट महिला का ख्याल जेल में रखा जाता है, सफूरा का भी पूरी तरह ख्याल रखने का आदेश जज़ ने दिया है।
सफूरा जरगर और उनके साथी कह रहे थे कि सीएए कानून लागू होने के बाद मुसलमानों की नागरिकता छिन जाएगी और वो हिरासत केंद्र में भेज दिए जायेंगे, इनसे ये सवाल पूछा जाना चाहिए कि 11 जनवरी को देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद किसी की नागरिकता छिनी? सीधी बात यही है कि जिन्होंने फ़ेक न्यूज़ फैला कर देश और दिल्ली को दंगो की आग में झोंका तो उनके खिलाफ़ आखिर कार्यवाही क्यों न हो ?
इस मामले ने राजनीतिक रूप भी लिया। कई राजनीतिक लोग समर्थन में उतरे। सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने कई सांसदों के साथ मिलकर एक चिट्ठी लिखी। अग जानिए ये कौन हैं? ये वही रहमान साहब हैं जो संसद में वंदेमातरम के दौरान खड़े तक नहीं होते।
शफीकुर रहमान बर्क और जितने लोगों ने उनके के साथ मिलकर चिट्ठियां लिखी हैं कि सफूरा जरगर प्रेग्नेंट हैं, शरजील इमाम स्टूडेंट हैं और पिंजरा तोड़ में जो लड़कियां थी वो सभी स्टूडेंट्स हैं उनका अगर हम इतिहास देखेंगे तो ये वही लोग हैं जो आतंकवादियों को बचाने के लिए रात के 12 बजे देश की संसद का दरवाजा खटखटाते हैं। ये वही लोग हैं जो आतंकवादियों का समर्थन करते हैं, कभी उन्हे गरीब का बेटा, मास्टर का बेटा या इंजीनियर बताते हैं। वही आज दंगाइयों का समर्थन करने के लिए भी बेशर्मी से मैदान में उतरे हुए हैं। इससे साफ तौर पर देखा जा सकता है कि अभी जो कुछ भी चल रहा है, जो लोग इन दंगाइयों का समर्थन कर रहें है, इनके पक्ष में होकर उनके बचाव में चिट्ठियां लिख रहे हैं। दरसअल, ये तमाम लोग, तमाम ताकतें एक बार फिर से दिल्ली में शाहीन बाग़ बनाने की, देश मे दंगे भड़काने की कोशिशें कर रहे हैं। जैसा कि हम देख रहे कि कई लोग सोशल मीडिया पर अमेरिका में जो जॉर्ज फ्लॉयड की मौत हुई, जिस तरह वहाँ दंगे चल रहे है उसकी आड़ लेकर बात कर रहे हैं कि भारत में इस तरह क्यों नहीं हो रहा है ?
विनोद दुआ वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्हें सभी जानते हैं और इसके अलावा मिनिस्ट्री इंटरनेशनल के भारत के निर्देशक आकार पटेल के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज़ हुई है। विनोद दुआ जैसे वरिष्ठ पत्रकार देश में दंगे भड़काने के लिए ऐसा कहते हैं कि अमेरिका में जैसा हो रहा है, ऐसा भारत में क्यों नहीं हो रहा? ये बात अपने आप में ही शर्मनाक है, विनोद दुआ को खुद समझना चाहिए कि जिस देश ने उनको इतना सब कुछ दिया वो उसी देश में दंगे भड़काने में क्यों आमादा हैं। साथ ही आकार पटेल ने जो ट्वीट किया था वो बेहद आपत्तिजनक था। उन्होंने ट्वीट में मुसलमानों की ओर इशारा करते हुए लिखा था कि भारत के जो मुसलमान हैं वो इस तरह का विरोध प्रदर्शन क्यों नहीं कर सकते जिस तरह से अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद से चल रहा है, वो सीधा सीधा भारत के मुसलमानों को भड़काने की कोशिश कर रहे है, वो मुसलमान जो भारत में पाकिस्तान से ज़्यादा महफूज़ हैं, जिन्हें भारत में अल्पसंख्यक का दर्जा देकर तमाम अतिरिक्त सुविधाएं मिली हैं। इसके बावजूद आकार पटेल ने भारत के मुसलमानों को भड़काने की कोशिश करी है उस पर सख्त कार्यवाही हो जिससे देश में फ़िर से शाहीन बाग़ न बने और न ही फिर से दिल्ली जैसे दंगे हों। अंत मे यही कि सफूरा जरगर निरपराध नहीं हैं। सफूरा जरगर, और बाकी लोग जिन्हें गिरफ्तार किया गया है उन्ही के कारण 53 निर्दोष लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी और करीब 300 लोग घायल हुए। इसिलए सफूरा जरगर, शरजील इमाम, पिंजरा तोड़ गैंग की लड़कियां निरपराध नहीं है, इनके समर्थन में जो फ़ेक कहानी चल रही है उससे देश के लोगों को सावधान रहने की जरूरत है और इन पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।