दिल्ली सरकार के स्कूलों के 40,000 बच्चे टिन शेड और जर्जर भवनों में पढने को मजबूर, दक्षिण-पूर्व दिल्ली का है मामला.

देश की राजधानी दिल्ली के दक्षिण-पूर्व दिल्ली के मोलारबंद इलाके में दिल्ली सरकार के 11 स्कूलों के लगभग 40 हजार बच्चे पिछले 4 वर्षों से मजबूरन पोर्टा केबिन या सीधे शब्दों में कहें तो टीन शेड की बनी क्लासरूम्स में पढने को मजबूर हैं. बताया जा रहा है कि मोलारबंद एरिया में 11 स्कूलों के बच्चे हैं जो भी बेहद विषम परिस्थितियों में पढ़ रहे हैं. पिछले 4 वर्षों के लम्बे इंतजार के बावजूद अभी तक इन स्कूलों में चल रहे निर्माण कार्य पूर्ण नही हो सके हैं जिसके चलते गरीब परिवार के बच्चे आर्थिक तंगी होने के चलते पोर्टा केबिन के क्लासरूम्स में पढने को मजबूर है. उके पास इतने पैसे नही है कि वो किसी निजी स्कूल में अपनी पढाई जारी कर सके जिसके चलते गर्मियों के मौसम में बच्चे किस कष्ट में पढाई करते होंगे इसका अंदाज़ा आप स्वयं लगा सकते हैं कि टीन शेड के नीचे गर्मीं का स्तर क्या होता है. साथ में यह भी बताया जा रहा है कि इन पोर्टा स्कूलों में बुनियादी सुविधायें भी बच्चों मो मुहैया नही करायी जा रही है जैसे कि पीने के पानी की भी उचित व्यवस्था नही है और न ही अन्य कोई सुविधायें.

वहीँ गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल नंबर 3, मोलारबंद में स्कूल की नयी बिल्डिंग तो बनकर तैयार हो गयी परन्तु अभी तक नए भवन में न तो पानी का कनेक्शन है और न ही शौचालय. स्कूलों को पुराने और जर्जर भवन में ही छात्रों को समायोजित करने में कठिनाई होने के कारण, उन्हें पूर्वनिर्मित कमरों में रखा गया था. अभी तक पुराने ढांचे में बने शौचालयों का ही उपयोग किया जा रहा है।

कक्षा 9 के छात्र कुनाल ने बताया की स्कूल में पीने के पानी की कमी के चलते काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, छात्र ने बताया कि पूरे दिन में सिर्फ एक बार टैंकर के माध्यम से पानी आता है जो कि हम सभी छात्रों के लिए पर्याप्त ही होता बल्कि यह पानी पीने योग्य भी नही होता है.

वहीँ स्कूल प्रशासन का कहना है कि हमने कई बार दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग को पत्र लिख कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया परन्तु अभी तक विभाग की ओर से कोई भी संतोषजनक जवाब नही मिला है. साथ में यह भी बताया कि जिन नये भवनों का निर्माण किया गया है उनमे भी कई आधारभूत आवश्यकताओं को दरकिनार किया गया है जिसके चलते भी आने वाले समय में परेशानियाँ बढेंगी न कि कम होंगी.

जरुरी सूचना- यह खबर टाइम्स ऑफ़ इंडिया की पत्रकार श्रधा छेत्री के द्वारा लिखी गयी है. खबर बेहद महत्वपूर्ण होने के चलते हमने इसके कुछ हिस्से का हिंदी रूपांतरण कर प्रस्तुत किया है. इस जरुरी खबर के लिए आप धन्यवाद के पात्र है.