देश की राजधानी दिल्ली में निम्न माध्यम वर्गीय परिवारों या बाहर से पढने आये छात्र-छात्राओं को जब एक स्थान से दूसरे स्थान तक डीटीसी बस से जाना होता है तो उनके लिए युद्ध में प्राप्त विजय से कम नहीं होता है. डीटीसी बसें वैसे तो दिल्ली में वहाँ तक चलती हैं जहाँ मेट्रो भी नहीं पहुँची है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से दिल्ली का परिवहन विभाग दिल्लीवासियों के लिए प्रताड़ना विभाग बन कर रह गया है. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं आइये जानते है कुछ प्रमुख बिंदु :-
प्रतिदिन 25-30 प्रतिशत डीटीसी बसे होती हैं बंद
आजकल दिल्ली में डीटीसी बसों की हालात इतनी ज्यादा खराब है कि लगभग हर रोज ही 25 से 30 प्रतिशत तक बसें डिपो से निकलने के बाद कहीं भी बीच सड़क पर बंद हो जाती है जिसके चलते न केवल यात्रियों को जूझना पड़ता है बल्कि आवागमन में इतना ज्यादा व्यवधान पैदा होता है कि कई घंटों का जाम भी लगता है. 25-30 प्रतिशत से शायद आपको लग रहा होगा 50-60 बसें ख़राब होती हैं लेकिन ऐसा नही अगर बसों की संख्या पर बात की जाये तो लगभग 500-600 या कई बार इससे भी ज्यादा बसें एक दिन में ही ख़राब होती हैं.
DTC के पास 4000 से कम हैं बसें
यदि दिल्ली परिवहन निगम में मौजूदा समाय में डीटीसी बसों की बात की जाये तो फ़िलहाल DTC के बेड़े में अभी 3992 बसें हैं, जिनमें 488 इलेक्ट्रिक बसें भी शामिल हैं. आलम यह है कि पुरानी बसें तो हर दिन ब्रेकडाउन हो ही रही हैं, बल्कि जो हाल ही में नई इलेक्ट्रिक बसों को चालू किया गया था उनमे से भी रोजाना लगभग दर्जन भर बस का ब्रेकडाउन हो रहा है.
बसों की उम्र पूरी और स्टाफ में भारी कमी
डीटीसी बसों के ब्रेकडाउन का प्रमुख कारण इन बसों का सही तरीके से मेंटेनेंस न हो पाना. लेकिन जो इससे भी बड़ा कारण सामने आया है कि DTC की जितनी भी CNG बसें अभी सड़कों पर दौड़ रही हैं, वे लगभग सभी बसें अपनी उम्र पूरी कर चुकी हैं, बावजूद इसके दिल्ली में उन सभी बसों को सडकों पर दौड़ाया जा रहा है, जो न केवल सुरक्षा के नजरिये से बल्कि आम जनजीवन के लिए भी बेहद पीड़ादायक है. इसके अतिरिक्त स्टाफ की कमी, दिल्ली में डीटीसी के कुल 40 डिपो हैं और हर डिपो पर एक स्टोर मेनेजर होता हैं परन्तु केजरीवाल सरकार अभी तक खाली पड़े स्टोर मेनेजर के पदों को भी नही भर सकी है. दिल्ली में फ़िलहाल 40 डिपो को मैनेज करने के लिए सिर्फ 26 स्टोर मेनेजर ही हैं जिसके कारण काम का दबाव उनके ऊपर इतना ज्यादा है कि वो बसों के रखरखाव करने में सक्षम नहीं हैं.